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*मुजफ्फरनगर – निर्वाल हॉस्पिटल निर्माण कार्य का ध्वस्तीकरण उचित… कमिश्नर सहारनपुर*

*मुजफ्फरनगर - निर्वाल हॉस्पिटल निर्माण कार्य का ध्वस्तीकरण उचित... कमिश्नर सहारनपुर*


*मुजफ्फरनगर की जाट कॉलोनी में अवैध हॉस्पिटल पर कमिश्नर का कड़ा फैसला… “कानून से ऊपर कोई नहीं… आवासीय कॉलोनी में अस्पताल का संचालन अवैध नक्शा अनुरूप नहीं हुआ निर्माण इसलिए दोस्ती कारण की कार्रवाई सही”*

मुजफ्फरनगर
आवासीय कॉलोनी के बीच अवैध रूप से चल रहे निरवाल हॉस्पिटल पर बड़ा प्रशासनिक निर्णय आया है। जाट कॉलोनी में बिना अनुमति बनाए गए इस हॉस्पिटल के खिलाफ मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण (एमडीए) द्वारा जारी ध्वस्तीकरण (Demolition) कार्यवाही पर हॉस्पिटल संचालक ने सहारनपुर आयुक्त (Commissioner) के यहां अपील दायर की थी।

लेकिन कमिश्नर ने सभी दस्तावेजों, साक्ष्यों और महायोजना की स्थिति का गहन परीक्षण करने के बाद स्पष्ट शब्दों में आदेश दिया है……
“यह क्षेत्र मुजफ्फरनगर महायोजना–2021 के अनुसार पूर्णतः आवासीय है…अस्पताल का निर्माण एवं संचालन यहां पूर्णतः अवैध है। एमडीए की ध्वस्तीकरण कार्यवाही सही और वैध है।’”

कमिश्नर सहारनपुर ने कहा। अपील खारिज करते हुए कमिश्नर ने अपने आदेश में महत्वपूर्ण बिंदु दर्ज किए
जाट कॉलोनी 100% आवासीय क्षेत्र है।
आवासीय क्षेत्र में किसी भी प्रकार का व्यावसायिक या अस्पताल निर्माण पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। निरवाल हॉस्पिटल द्वारा प्रस्तुत नक्शे, अनुमति या स्वीकृतियां न तो वैध थीं और न ही मान्य। एमडीए द्वारा जारी ध्वस्तीकरण कार्यवाही को बिल्कुल सही और नियमसम्मत पाया गया। हॉस्पिटल संचालकों को किसी तरह की कोई राहत या विशेष सुविधा नहीं दी जाएगी। इस प्रकार, कमिश्नर ने एमडीए की कार्रवाई को पूरी तरह सही ठहराते हुए अस्पताल संचालक की अपील पूरी तरह निरस्त कर दी।

स्थानीय नागरिकों की जीत आवाज उठाना जरूरी है, जाट कॉलोनी के लोगों ने लगातार यह विरोध जताया था कि अस्पताल के कारण कॉलोनी में भीड़ बढ़ती है,
एम्बुलेंस आवाजाही और ट्रैफिक की समस्या होती है,
पार्किंग, कचरा और सुरक्षा संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं,
यह कॉलोनी सिर्फ आवासीय उपयोग के लिए निर्धारित है।
मरीजो के तीमारदारों की गाड़ियां गली में खड़ी रहती है, तीमारदार खाने पीने के अवशेष सड़क पर फेंक देते हैं। कई बार मीत इत्यादि पड़ा होने के चलते धार्मिक तनाव भी हो चुके हैं। तमाम तरीके की बीमारियों का अंदेशा है। तीमारदार लोगों के घरों के सामने रैंप पर बैठे रहते हैं जिससे निजता और सुरक्षा को खतरा हो गया है। अनजान लोग लगातार गलियों में विचरण करते हैं जिससे महिलाओं बच्चों का घर से निकलना दूभर हो गया है।

यह मामला यह साबित करता है कि “जब लोग आगे आते हैं, शिकायत करते हैं, सुबूत और साक्ष्य से जनहित के, अपनी कॉलोनी और शहर के लिए खड़े होते हैं तो न्याय मिलता ही है।”

यह आदेश सिर्फ एक हॉस्पिटल या एक कॉलोनी का मुद्दा नहीं है।
यह पूरा संदेश देता है कि अवैध निर्माण, कब्जा, फर्जी बेनामा चाहे छोटा हो या बड़ा, आम द्वारा हो या रसूखदार के द्वारा यदि वह कानून के खिलाफ है, तो प्रशासन कार्रवाई करेगा और नियमों को तोड़ने वालों को कोई छूट नहीं मिलेगी।

निरवाल हॉस्पिटल की अपील खारिज होने के बाद अब एमडीए की ध्वस्तीकरण कार्रवाई सही साबित हुई। कमिश्नर का यह आदेश शहर में व्याप्त अवैध निर्माण के खिलाफ एक सशक्त और ऐतिहासिक संदेश है कि कानून को मजाक समझने वाले सावधान हो जाएँ… कॉलोनी, शहर और जनता की आवाज़ को सुना जरूर जाता है। भले देर से सुना जाए।

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