मुजफ्फरनगर

*न्यूनतम इनवेसिव मॉडर्न नी रिप्लेसमेंट तकनीक से हो रहा दर्दरहित घुटना प्रत्यारोपण*

*न्यूनतम इनवेसिव मॉडर्न नी रिप्लेसमेंट तकनीक से हो रहा दर्दरहित घुटना प्रत्यारोपण*

मेरठ: हाल के वर्षों में नी रिप्लेसमेंट ने चमत्कारिक रूप से एक विकासात्मक रूप ले लिया है। पहले जहाँ यह प्रक्रिया जटिल, दर्दनाक और लंबी अस्पताल में भर्ती के साथ होती थी, वहीं आज इसके हर पहलू में अद्यतन तकनीकों और उन्नत चिकित्सा पद्धतियों के कारण यह सुरक्षित, त्वरित और लगभग दर्दरहित हो गई है। गंभीर गठिया या घुटने की चोट से पीड़ित मरीज अब तेज़ ठीक होने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद कर सकते हैं।

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज के ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर एवं यूनिट हेड डॉ. एल. तोमर ने बताया कि “पहली बात, आज की सर्जरी में मिनिमल इनवेसिव तकनीकों का उपयोग होता है, जिससे त्वचा और मांसपेशियों में क्षति बहुत कम होती है। छोटे चीरे के माध्यम से सर्जन घुटने तक पहुंचते हैं, जिससे सर्जिकल ट्रॉमा घटता है और घुटने की जकड़न व सूजन भी सीमित हो जाती है। इससे मरीज का रिकवरी समय कम हो जाता है और वह संभवतः ऑपरेशन के अगले ही दिन चलते-फिरने लगते हैं।

दूसरी महत्वपूर्ण व्यवस्था है बेहतर पेन मैनेजमेंट प्रोटोकॉल। क्षेत्रीय एनेस्थीसिया और मल्टीमॉडल एनाल्जेसिया का संयोजन मरीज को न्यूनतम असुविधा का अनुभव कराता है। ऑपरेशन के दौरान और बाद में दर्द को नियंत्रित रखने के लिए विभिन्न दवाओं और तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे मरीज को पारंपरिक सर्जरी की तरह तीव्र दर्द से नहीं गुजरना पड़ता।

डॉ. तोमर ने आगे बताया कि “तीसरा, आज के मॉडर्न नी रिप्लेसमेंट में कस्टमाइज्ड इम्प्लांट्स और कम्प्यूटर-असिस्टेड नेविगेशन सिस्टम का उपयोग बढ़ गया है। ये उन्नत उपकरण सर्जन को आर्टीफिशल नी को बिलकुल सही स्थान पर रखने में मदद करते हैं, जिससे घुटने की सीध, स्थायित्व (longevity) और कार्यक्षमता (functionality) में सुधार होता है। रोबोटिक-असिस्टेड प्रक्रियाएँ और भी अधिक सटीकता प्रदान करती हैं, खासकर युवा या सक्रिय जीवनशैली वाले मरीजों के लिए, ताकि नए घुटने की जीवन अवधि लम्बी हो और वह अधिक भार ढो सके।“

इसके अलावा, फिजियोथेरेपी और सर्जरी के तुरंत बाद शुरू होने वाले रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम ने मरीजों को जल्दी से सामान्य जीवन की ओर लौटने में मदद की है। मरीजों को शुरुआती दिनों में धीरे-धीरे पैर मोड़ने, खिंचाव करने और सशक्त व्यायाम करने के निर्देश दिए जाते हैं, जिससे मांसपेशियों की ताकत बनी रहती है और घुटने में लचीलापन वापस आता है।

मॉडर्न नी रिप्लेसमेंट अब केवल जोड़ बदलने की प्रक्रिया नहीं रह गई, बल्कि यह उम्मीद, आराम और आत्मनिर्भरता की ओर एक सहज यात्रा बन चुकी है। अस्पताल में रुकने का समय घटकर कुछ ही दिनों में सीमित हो गया है, और घर लौटकर मरीज जल्दी ही चलने-फिरने, सीढ़ियाँ चढ़ने-उतारने और रोज़मर्रा के कार्य स्वयं करने में सक्षम हो जाते हैं।

पहले जहां घुटने की सर्जरी को दर्दनाक और डरावनी प्रक्रिया माना जाता था, वहीं आज यह एक संरचित, सुरक्षित और रोगी-केंद्रित अनुभव बन चुका है। आधुनिक तकनीकों, व्यक्तिगत इम्प्लांट डिज़ाइनों और उन्नत दर्द प्रबंधन के चलते मरीज न सिर्फ दर्दमुक्त होते हैं, बल्कि उन्हें गतिशीलता और आत्मविश्वास भी वापस मिलता है। इस प्रकार, मॉडर्न नी रिप्लेसमेंट अब दर्द की नहीं, बल्कि नई ज़िंदगी की शुरुआत की कहानी है।

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