Modi को घेरने के लिए दिल्ली से लंदन तक गुप्त बैठकों में बनी Toolkit, The Sunday Guardian का खुलासा चौंकाता है
Modi को घेरने के लिए दिल्ली से लंदन तक गुप्त बैठकों में बनी Toolkit, The Sunday Guardian का खुलासा चौंकाता है

Modi को घेरने के लिए दिल्ली से लंदन तक गुप्त बैठकों में बनी Toolkit, The Sunday Guardian का खुलासा चौंकाता है
दुनिया जब मंदी की ओर जा रही है तब भारत तरक्की की राह पर तेजी से बढ़ रहा है, रूस-यूक्रेन युद्ध हो या अन्य कोई वैश्विक चुनौती, दुनिया का हर देश उससे प्रभावित है मगर भारत अपनी कुशल रणनीति के चलते हर चुनौती को अपने लिए अवसर में तब्दील कर तरक्की कर रहा है। दक्षिण एशिया की ही बात कर लें तो मॉलदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल आदि जहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अन्य देशों के वित्तीय कर्ज के तले दबते जा रहे हैं वहीं भारत तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। दुनिया भारत की तरक्की और प्रगति की तारीफ भले करे लेकिन बड़े विकसित देशों को कहीं से यह पच नहीं रहा है कि भारत इतनी तेज तरक्की करे। 70 साल से भारत को हथियार बेच-बेचकर मालामाल हो रहे दुनिया के बड़े देश नहीं चाहते कि भारत खुद ही सारे हथियार बनाने लग जाये और आने वाले वर्षों में वह रक्षा आयात बंद ही कर दे। दुनिया के बड़े देश नहीं चाहते कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की भूमिका बढ़े और भारत को नेतृत्व देने की मांग होने लगे। एक समय भारत को गरीबी और भुखमरी वाला देश बताने वाले बड़े देशों को यह नहीं पच रहा है कि भारत कैसे विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया? चाहे भारत का विपक्ष हो या विदेशों में भारत की प्रगति से चिढ़ने वाले लोग…सभी को समझ आ गया है कि भारत को पीछे धकेलना है तो मोदी को सत्ता से हटाना होगा। इसके लिए जहां विपक्ष चुनाव मैदान में मोदी से मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने में लगा है वहीं विदेशी शक्तियों ने भी अपना काम शुरू कर दिया है। मोदी को घेरने के लिए टूलकिट बन चुकी है। इस टूलकिट के हिसाब से किसको क्या जिम्मेदारी मिली है यह भी जल्द सामने आ ही जायेगा।
हम आपको बता दें कि ब्रिटेन के एक बड़े अखबार द संडे गार्जियन ने एक बहुत बड़ा खुलासा किया है। अखबार कहता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए नई दिल्ली से लेकर लंदन तक गतिविधियां चल रही हैं। अखबार ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि दिल्ली और लंदन तक मोदी विरोधी गुटों की कई गुप्त बैठकें और मुलाकातें हुई हैं जिनमें इस बात की रणनीति बनाई गयी कि कैसे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को तीसरी बार जीतने से रोका जाये। अखबार का दावा है कि इन बैठकों में कुछ राजनयिकों और भारतीयों ने हिस्सा लिया। अखबार ने दावा किया है कि तीन महीने में इस संबंध में तीन गुप्त बैठकें दिल्ली के राजनयिक क्षेत्र मोती बाग और बहादुर शाह जफर मार्ग में हो चुकी हैं। अखबार कहता है कि मोती बाग स्थित दूतावास में हुई बैठक में 20 लोग और बहादुर शाह जफर मार्ग के एक कार्यालय में हुई बैठक में 12 लोग शामिल हुए थे। इन बैठकों में भाग लेने के लिए कुछ भारतीय मूल के लोग अमेरिका के टेक्सास और अन्य इलाकों से दिल्ली पहुँचे थे। अखबार का दावा है कि इन बैठकों में कुछ यूरोपीय देशों के राजनयिक दिल्ली और लंदन, दोनों जगह की बैठकों में शामिल हुए थे। राजनयिकों के अलावा इन बैठकों में कुछ वकील, डॉक्टर और आईटी प्रोफेशनल भी शामिल हुए थे।
इन बैठकों में तय किया गया है कि मोदी सरकार की कमजोरियों को कैसे जनता के बीच उभारा जायेगा, इन बैठकों में तय किया गया है कि कैसे मोदी सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक में नकारात्मक अभियान चलाया जायेगा। इन बैठकों में मार्केटिंग प्रोफेशनलों, पीआर एजेंसियों, सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स आदि की बड़ी संख्या में चुनाव अभियान के लिए नियुक्ति करने की भी सहमति बनी ताकि मोदी और भाजपा को चारों ओर से घेरा जा सके। इन बैठकों में रणनीति बनाई गयी कि ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही तरीकों से मोदी सरकार की छवि को भारत और विदेशों में खराब करने के लिए अभियान चलाया जायेगा। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बीच भी मोदी सरकार की छवि को खराब करने के प्रयास किये जायेंगे ताकि वहां से भाजपा को किसी प्रकार की मदद नहीं मिल सके। अखबार दावा करता है कि इन बैठकों में इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक छह महीने पहले यानि इस साल सितंबर महीने में मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया जायेगा। हम आपको बता दें कि यह वही वक्त होगा जब सितंबर माह में जी-20 शिखर सम्मेलन की भारत दिल्ली में मेजबानी कर रहा होगा। शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति समेत जी-20 सदस्य देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों के भाग लेने की उम्मीद है।
हम आपको यह भी बता दें कि मोदी के कार्यकाल में जब भी कोई बड़ा राष्ट्राध्यक्ष भारत आया है तो सरकार के खिलाफ नकारात्मक माहौल दर्शाने की कोशिश की गयी है। उदाहरण के तौर पर जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आये थे तब दिल्ली में दंगे कराये गये थे। इसके अलावा जब किसी इस्लामिक देश का राष्ट्राध्यक्ष भारत दौरे पर आता है तब देश में अल्पसंख्यकों को खतरे में दर्शाने के प्रयास किये जाते हैं।
यही नहीं, हाल में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट अडाणी पर हमला नहीं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का षड्यंत्र है। भारत से निवेशक मुंह फेर लें, भारत के वित्तीय बाजारों और कंपनियों की साख अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खराब हो, इसके लिए जो षड्यंत्र रचा गया था उसे अडाणी पर हमला करके सफल बनाने का प्रयास किया गया। यही नहीं, गुजरात दंगों पर बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बिगाड़ने का जो अभियान चलाया था वह भी किसी टूलकिट का ही हिस्सा था। इसलिए संडे गार्जियन ने जो खुलासा किया है उससे सरकार को और देशवासियों को भी सतर्क रहना चाहिए क्योंकि भारत की छवि खराब करने का जो अभियान चल रहा है या उसमें जो तेजी लाई जाने वाली है, उसे रोकने का काम सिर्फ सरकार को ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों को भी करना है।
बहरहाल, हाल ही में संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि एक अकेला सब पर भारी पड़ रहा है। इसलिए देखना होगा कि क्या अब तक विपक्ष को मात देने में सफल रहे मोदी क्या विदेशी शक्तियों के षड्यंत्रों को भी विफल करने में सफल होंगे?