धर्म

इन 9 पौधों में है मां दुर्गा के नौ रूपों का वास, घर में लगाने से मिलेंगे चमत्कारिक फायदे

इन 9 पौधों में है मां दुर्गा के नौ रूपों का वास, घर में लगाने से मिलेंगे चमत्कारिक फायदे


1.
हरड़ – हरड़ आयुर्वेद की प्रधान औषधी है. इसे हिमावती भी कहते हैं जो मां शैलपुत्री का ही एक रूप है. हरड़ सात प्रकार की होती है. इसमें हरीतिका भय को हरने वाली है, पथया- हित करने वाली है, कायस्थ – शरीर को बनाए रखने वाली है, अमृता – अमृत के समान, हेमवती – हिमालय पर होने वाली, चेतकी -चित्त को प्रसन्न करने वाली है और श्रेयसी- कल्याण करने वाली मानी गई है.

2.
ब्राह्मी – ब्राह्मी को मां ब्रह्मचारिणी का प्रतीक माना जाता है. इसके प्रयोग से स्मरण शक्ति और आयु में वृद्धि होती है. ये स्वर को मधुर करने का काम करती है इसलिए इसे सरस्वती भी कहते हैं.

3.
चंदुसूर – चंदुसूर पौधे में मां चंद्रघंटा का वास होता है. इसके पत्तियों के सेवन से शारीरिक शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है. ह्दय रोग से पीड़ित व्यक्ति को मां चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए साथ ही इस औषधी का प्रयोग करना चाहिए.

4.
पेठा – मां कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा जिससे पेठा मिठाई बनती है. पेठा में मां का ये स्वरूप विराजमान है. मान्यता है कि मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए पेठा अमृत समान है. नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा कर इसका उपयोग करें.

5.
अलसी – मां स्कंदमाता अलसी में विद्यमान है. इससे वात, पित्त, कफ, जैसे रोग नष्ट होते हैं. इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए.

6.
मोइया – मां कात्यायनी के आयुर्वेद में कई नाम हैं जैसे अम्बालिका, अम्बिका, मोइया आदि. मोइया औषधि का प्रयोग कफ, पित्त और गले के रोग को खत्म करने के लिए किया जाता है.

7.
नागदौन – नागौन के पौधे को मां कालरात्रि का रूप माना जाता है. इसे घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है. ये औषधि मानसिक तनाव को दूर करने के लिए रामबाण मानी गई है.

8.
तुलसी – मां महागौरी को तुलसी में विद्यमान है. नवरात्रि में घर में तुलसी लगाने से सुख-समृद्धि आती है और मां महागौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. तुलसी कई रोगों की नाशक है.

9.
शतावरी – मां सिद्धिदात्री को शतावरी भी कहते हैं. इसके प्रयोग से बुद्धि और बल में बढ़ोत्तरी होती है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार ये नौ औषधियां को ब्रह्माजी ने दुर्गाकवच का नाम दिया था.

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