दुश्मनों की खैर नहीं, सेना में शामिल हुआ स्वदेशी बख्तरबंद वाहन का पहला सेट
दुश्मनों की खैर नहीं, सेना में शामिल हुआ स्वदेशी बख्तरबंद वाहन का पहला सेट

नयी दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत और चीन के बीच में लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है। इसके अलावा पाकिस्तान के साथ भी हमारे रिश्ते अच्छे नहीं हैं। ऐसे में देश की तीनों सेनाएं खुद को मजबूत बनाने में जुटी रहती हैं। इसी बीच थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को अगली पीढ़ी के बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन (एईआरवी) और अन्य उपकरणों के पहले सेट को सेना की इंजीनियर्स कोर को सौंपा।
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पुणे के पास खड़की में बॉम्बे इंजीनियर ग्रुप (बीईजी) में एक समारोह में वाहनों को शामिल किया और उन्हें झंडी दिखाकर रवाना किया। इस बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन की सबसे खास बात यह है कि ये पूरी तरह से स्वदेशी है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन किया गया है और आयुध निर्माणी मेडक तथा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड पुणे द्वारा बनाया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सेना प्रमुख ने कहा कि इन स्वदेशी उपकरणों को शामिल करने से विशेष रूप से पश्चिमी मोर्चे पर संचालन को बढ़ावा मिलेगा और रक्षा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम होगा।
उन्होंने बताया कि एईआरवी की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी, विशेष रूप से हमारे बख्तरबंद फॉर्मेशन, स्ट्राइक कोर के लिए जो मुख्य रूप से पश्चिमी सीमा पर काम कर रहे हैं… यह प्लेटफॉर्म टोही की प्रक्रिया को गति देगा जो पहले मैन्युअल रूप से किया जाता था। सेना प्रमुख ने कहा कि एंटी टैंक और एंटी पर्सनल माइन की एक नई श्रृंखला का विकास किया जा रहा है। यह आवश्यक हो गया है क्योंकि हमारी सभी माइन्स पुराने प्रोटोकॉल की थीं।