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जब कौओं के बैठते ही डोलने लगा पहाड़, पर नहीं गिरा एक भी चट्टान, हैरान रह गए वैज्ञानिक, अब टूरिस्ट प्लेस घोषित करने की मांग

जब कौओं के बैठते ही डोलने लगा पहाड़, पर नहीं गिरा एक भी चट्टान, हैरान रह गए वैज्ञानिक, अब टूरिस्ट प्लेस घोषित करने की मांग

जानकार बताते हैं कि जब इस पहाड़ के ऊंची चोटी पर कौए बैठे थे तो पहाड़ का चट्टान हिलने लगा था, तब से लोग इसे कौआ डोल पहाड़ के नाम से भी जानते हैं. लेकिन, यह डोला क्यों और कैसे कंट्रोल हुआ यह गहरा रहस्य है. इस पहाड़ की एक और खासियत है कि इस पहाड़ के चट्टानों में कई हिंदू देवी-देवताओं के साथ ही भगवान बुद्ध की मूर्तियां भी उकेरी हुई हैं.

यहां के जानकार लोग बताते हैं कि इतिहास और पुरातत्व से जुड़े कनिंघम यहां आए थे. 1902 में कुछ पुरातत्वविद ब्रिटिश वैज्ञानिक भी पहुंचे थे, जिनमें ब्लॉक और बेंगलर का नाम आता है. लोग बताते हैं कि वैज्ञानिकों के आगमन के दौरान एक बार ऐसा हुआ कि सब हक्के-बक्के रह गए.

दरअसल, जब वैज्ञानिक चट्टानों में कुछ कर रहे थे, तभी वहां पर चट्टान की खोह से कौओं का झुंड निकलने लगा और सभी कौए पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक चट्टान पर जाकर बैठ गए. इसके बाद वह चट्टान हिलने लगा, लेकिन वह चट्टान गिरा नहीं. तब से इसे कौआ डोल के नाम से भी जाना जाता है.

यहां काफी मनोरम दृश्य तो है ही साथ ही इसका जिक्र इतिहास में भी मिलता है. इस कौआ डोल के बारे में इनसेट नाम की किताब डीआर पाटिल द्वारा लिखी हुई है जो कि ब्रिटिश लाइब्रेरी पटना में सुरक्षित है. इसके पेज नंबर 198-199 पर कौआ डोल पहाड़ का जिक्र है.

इस पहाड़ के चट्टानों पर हर देवी देवताओं की मूर्तियां देखी जा सकती है. पत्थरों पर शिवलिंग भी बनाए गए हैं.स्थानीय लोगों का कहना है कि इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, ताकि लोग इस कौवा डोल पहाड़ के बारे में लोग जान सकें.

इस कौवा डोल पहाड़ का जुड़ाव पाल वंश से बताया जाता है. वहीं, स्थानीय कासियाडी पंचायत के मुखिया पति रंजय कुमार उर्फ पप्पू बताते हैं कि अगर सरकार के द्वारा इस पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यह आने वाले दिनों में और विकास होगा

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