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जब औरंगजेब पहुंचा था खाटू धाम, प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर… लूटना चाहता था सोना-चांदी, जैसे ही रखा पहली सीढ़ी पर पैर तभी…

जब औरंगजेब पहुंचा था खाटू धाम, प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर... लूटना चाहता था सोना-चांदी, जैसे ही रखा पहली सीढ़ी पर पैर तभी...

Baba Khatu Shyam Temple: बाबा खाटू श्याम जी के मंदिर में देश-दुनिया से श्रद्धालु पहुंचते हैं. खाटू श्याम जी का मंदिर बहुत ही प्राचीन है. बाबा खाटूधाम में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर भी स्थिति है. क्या आप जानते हैं मुगल बादशाह औरंगजेब अपनी सेना के साथ खाटू नगरी में बने इस शिव मंदिर को तोड़ने पहुंचा था. आइए जानते हैं तब क्या हुआ था.

सीकर: मुगल साम्राज्य के बादशाह औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुओं के कई मंदिरों को नष्ट किया था, जिनमें से कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका नामोनिशान तक मिटा दिया गया था. ऐसे ही औरंगजेब और उसकी सेना, एक बार राजस्थान के सीकर में खाटू नगरी पहुंची. औरंगजेब की सेना खाटू नगरी में भगवान शिव जी के मंदिर को भी नष्ट करने पहुंची थी. आइए जानते हैं क्या हुआ था तब.

राजस्थान के सीकर जिले के खाटू धाम में भगवान शिव जी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है. जानकारों की मानें तो, मुगलकाल के समय औरंगजेब मंदिरों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर सोना चांदी लुटता हुआ खाटूधाम में पहुंचा और अपने सेनापति को खाटू में बने प्राचीन शिव मंदिर को नष्ट कर मंदिर से सोना चांदी लूटने का आदेश दिया.

सेनापति ने औरंगजेब को क्या बताया?

औरंगजेब के आदेश के बाद सेनापति प्राचीन शिव मंदिर को नष्ट करने के लिए पहुंचा और जैसे ही उसने शिवलिंग पर प्रहार किया तो उस शिवलिंग से खून की एक धारा निकली, जिसे देख सेनापति डर के मंदिर से भागा और औरंगजेब के पास पहुंचकर सबकुछ बताया. जिसके बाद औरंगजेब खुद खाटू धाम शिव मंदिर को तोड़ने पहुंचा. जानकार बताते हैं कि औरंगजेब ने जैसे ही मंदिर की पहली सीढ़ी पर पैर रखा तो उसका पैर वहीं रुक गया और वह मूर्ति की तरह खड़ा रह गया.

औरंगजेब ने मांगी भगवान शिव से माफी

हर संभव प्रयास करने के बाद भी औरंगजेब मंदिर की उस पहली सीढ़ी से हिल नहीं पाया. तब जाकर मंदिर के पुजारी ने कहा औरंगजेब भगवान शिव जी से क्षमा मांगों, भोलेनाथ दयालु है माफ कर देंगे. लेकिन औरंगजेब झुकने को तैयार नहीं था. लेकिन लगातार 2 दिन तक एक ही जगह पर मूर्ति की तरह खड़े रहने के बाद भी औरंगजेब ने भगवान शिव से माफी मांग मंदिर को नहीं तोड़ने का प्रण किया. साथ ही वह अपनी सेना को लेकर खाटूधाम से वापस लौट गया.

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