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Navratri की वजह से दिखा दो राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के बीच सौहार्द का क्षण, शेखावत के घर से वसुंधरा के लिए आया खाना!

Navratri की वजह से दिखा दो राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के बीच सौहार्द का क्षण, शेखावत के घर से वसुंधरा के लिए आया खाना!

राजनीति में प्रतिद्वंद्विता कोई नई बात नहीं है। अगर देखा जाए तो एक पार्टी में रहने के बाद भी नेताओं के बीच द्वंद्व चलता रहता है। हालांकि, कुछ वक्त ऐसा भी आता है जब उन दोनों नेताओं के बीच सौहार्द का सुखद क्षण भी देखा जाता है। राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। वहां की राजनीति भी दिलचस्प है। हालांकि, यह बात भी सच है कि वहां नेताओं के बीच ही आपसी द्वंद्व देखने को मिल जाता है। अगर कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने है तो वही किस्सा भाजपा में भी गजेंद्र सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर कहीं जाती हैं। हालांकि दोनों नेताओं के बीच एक सुखद सौहार्द का क्षण भी पिछले दिनों देखने को मिला।

दरअसल, भाजपा की राजस्थान इकाई का कोर समूह शुक्रवार की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राज्य प्रभारी प्रह्लाद जोशी के आवास पर एक बैठक में शामिल हुआ। बैठक में मुख्यमंत्री पद की दावेदार वसुंधरा राजे सहित कई नेता नवरात्रि का उपवास कर रहे थे, जिसके दौरान केवल कुछ खाद्य पदार्थों का ही सेवन किया जा सकता है। जब पत्रकार बैठक का विवरण जानने के लिए सड़क पर डेरा डाले हुए थे, तो एक उल्लेखनीय दृश्य ने उनका ध्यान खींचा। प्रह्लाद जोशी के आवास के सामने वाले घर से भोजन के कटोरे लाये जा रहे थे। सूत्रों ने बाद में कहा कि कटोरे में मखाना और फल थे जो व्रत के दौरान खाए जाते हैं।

यह भोजन केंद्रीय मंत्री और राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ नेता गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवार द्वारा भेजा गया था, जो नवरात्रि के सभी दिनों में उपवास भी रखते हैं। एक भाजपा नेता द्वारा अपने पार्टी सहयोगी के घर खाना भेजना एक नियमित मामला लग सकता है, लेकिन यह इशारा राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए परंपरागत रूप से प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले वसुंधरा राजे और गजेंद्र शेखावत के बीच सौहार्द के एक और क्षण का प्रतीक है। वसुंधरा राजे का भी व्रत रहता है। राजे, जिन्हें अतीत में शेखावत के खिलाफ काफी मुखर देखा गया है, ने पिछले एक पखवाड़े में केंद्रीय मंत्री के साथ कई बार आमने-सामने मुलाकात की है। ऐसा लगता है कि नेताओं ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाने के सामान्य लक्ष्य के लिए अपने कथित मतभेदों को एक तरफ रख दिया है।

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