Kashmiri Pandit Neelkanth Ganjoo Murder Case को दोबारा खोला जाना Kashmir Files Film की भी बड़ी कामयाबी है
Kashmiri Pandit Neelkanth Ganjoo Murder Case को दोबारा खोला जाना Kashmir Files Film की भी बड़ी कामयाबी है

Kashmiri Pandit Neelkanth Ganjoo Murder Case को दोबारा खोला जाना Kashmir Files Film की भी बड़ी कामयाबी है
कश्मीर में आतंकवाद के दौर में कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या की गयी लेकिन हैरत की बात यह रही कि बरसों तक उनके कातिल खुले में घूमते रहे। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से कश्मीरी पंडितों के हत्यारों का हिसाब होना शुरू हो चुका है। कश्मीर में आतंकवाद फैलाने वालों का काफी हद तक सफाया हो चुका है और आतंकवाद का दर्द झेलने वाले कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने की शुरुआत हो चुकी है। इसी कड़ी में न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या का मामला दोबारा खोला गया है। आतंकवादियों द्वारा सेवानिवृत न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या के करीब 33 साल बाद राज्य जांच एजेंसी ने इस हत्या के पीछे की ‘बड़ी साजिश’ का पता लगाने के लिए आम लोगों से सूचनाएं मांगी हैं।
हम आपको बता दें कि न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट को 1960 के दशक में पुलिस अधिकारी अमरचंद की हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनायी थी। इसके चलते नवंबर, 1989 में श्रीनगर में नीलकंठ गंजू की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। नीलकंठ गंजू उन प्रमुख कश्मीरी पंडितों में शामिल थे जिन्हें इस समुदाय के कुछ महीने बाद घाटी से सामूहिक पलायन से पहले निशाना बनाया गया था। हम आपको यह भी याद दिला दें कि हाल ही में आयी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में भी न्यायमूर्ति गंजू की कहानी दिखाई गयी थी। अब जब यह मामला दोबारा खोला गया है तो कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा है कि हमारी फिल्म के जरिये कई मामले दोबारा प्रकाश में आये। उन्होंने कहा कि हमारी फिल्म आने के बाद ही यासिन मलिक भी जेल में पहुँचा था।
दूसरी ओर, न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की पोती जस्टिस गंजू स्वप्ना रैना जोकि अब अमेरिका में रहती हैं, उन्होंने भी राज्य जांच एजेंसी द्वारा यह मामला खोले जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि हमारे परिवार ने न्याय मिलने का लंबे अर्से तक इंतजार किया। वहीं कश्मीरी पंडित समाज से आ रही प्रतिक्रियाओं की बात करें तो आपको बता दें कि पंडितों ने पिछले तीन दशकों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा बेगुनाह लोगों की हत्या के सभी मामलों को फिर से खोलने की भी मांग की है। इस मामले को खोले जाने पर जोनाराजा इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोसाइड एंड एंट्रोसिटीज स्टडीज के निदेशक दिलीप कौल ने कहा, ‘‘वैसे तो यह बहुत छोटा कदम है लेकिन हम इसका स्वागत करते हैं और अनुरोध करते हैं कि जिन लोगों के पास इस घटना की जानकारी है वे गंजू के परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी भूमिका निभाने के लिए आगे आएं।’’ उन्होंने कहा कि हरे जख्मों के साथ सब्र करना संभव नहीं है और न्याय नहीं मिलना भी इसी के समान है। उन्होंने कहा कि सरकार को केवल एक मामले तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उसे समुदाय के लोगों के बीच खो चुके विश्वास को कायम करने के लिए बेगुनाह लोगों की हत्या के सभी मामलों की फिर से जांच करानी चाहिए। वहीं, ऑल स्टेट कश्मीर पंडित कॉन्फ्रेंस (एएसकेपीसी) के पूर्व महासचिव टी.के. भट ने कहा कि मामले को फिर से खोलना एक अच्छा कदम है लेकिन यह बहुत देर से किया गया। भट ने कहा, ‘‘अगले साल आम चुनाव से पहले गंजू के मामले को फिर से खोलने का समय समुदाय के मन में संदेह पैदा करता है कि भाजपा वोट हासिल करने के लिए इसे भुनाना चाहती है। वे पिछले नौ वर्षों से सरकार में हैं और उन्हें पहले ऐसा करना चाहिए था।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने (सरकार) समुदाय की वापसी और पुनर्वास के बारे में बात की है लेकिन आज तक कोई रोडमैप प्रदान करने में विफल रहे हैं। हमें लगता है कि हमें केवल चुनाव के समय ही याद किया जाता है और हमारे दर्द और समस्याओं को दूर करने के लिए कोई ईमानदार प्रयास नहीं किया जाता।
वहीं जहां तक इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बात है तो आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने उम्मीद जताई है कि अब न्याय हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हमारा न्यायिक तंत्र बहुत धीमी गति से काम करता है इसमें तेजी लाये जाने की जरूरत है। दूसरी ओर, वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने गंजू की हत्या के मामले को फिर से खोले का स्वागत किया तथा कश्मीरी पंडित समुदाय को आश्वासन दिया कि उनके उस हर मुद्दे का शीघ्र निराकरण किया जाएगा जिनका अब तक निराकरण नहीं किया गया। इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू कश्मीर इकाई तथा कई प्रमुख कश्मीरी पंडितों ने नीलकंठ गंजू की हत्या के मामले को फिर से खोले जाने का स्वागत किया है।