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Bihar bridge accident: लापता सुरक्षा गार्ड का शव घटना के 10 दिन बाद मिला

Bihar bridge accident: लापता सुरक्षा गार्ड का शव घटना के 10 दिन बाद मिला

चार लेन वाले सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने के बाद लापता हुए एक सुरक्षाकर्मी का शव दस दिन बाद बरामद कर लिया गया है। एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि मंगलवार को क्षेत्र के कौवाकोल प्रखंड के दियारा (बाढ़ के मैदान) में पुल के मलबे से लापता सुरक्षाकर्मी का शव बरामद हुआ। मृतक की पहचान विभाष कुमार के रूप में हुई है, जो पुल का निर्माण करने वाली हरियाणा की एक निजी फर्म के लिए गार्ड के रूप में काम करता था। सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के पिलर नंबर 10 पर तैनात विभाष कुमार चार जून को लापता हो गया था।

परबत्ता थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने यहां संवाददाताओं को बताया, “मंगलवार को शव मिलने के बाद, विभाष कुमार के परिवार के सदस्यों को तुरंत सूचित किया गया। उसके चाचा रामविलास यादव और मृतक के परिवार के अन्य सदस्यों ने कुमार के शव की शिनाख्त की। बाद में शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।’’ बताया जाता है कि पुल गिरने से कुमार की मौत हो गई और उनका शरीर पानी की धारा के साथ बह गया था। बिहार के भागलपुर जिले में चार जून को गंगा नदी पर अगुवानी-सुल्तानगंज पुल का निर्माणाधीन एक हिस्सा गिर गया। यह पुल भागलपुर और खगड़िया को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा था।

हादसे के एक दिन बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा था “जो पुल टूटा था वह पिछले साल भी गिर गया था। इसका निर्माण ठीक से नहीं हो रहा है, यही कारण है कि यह अप्रैल 2022 से दो बार गिर चुका है।’’ घटना के तुरंत बाद, बिहार के उपमुख्यमंत्री, तेजस्वी यादव ने कहा था कि राज्य सरकार वैसे भी संरचनात्मक खामियों के कारण निर्माणाधीन पुल को गिराने की योजना बना रही थी। उन्होंने कहा था ‘‘पिछले साल 30 अप्रैल को इस पुल का एक हिस्सा ढह गया था। इसके बाद, हमने अध्ययन करने के लिए आईआईटी-रुड़की से संपर्क किया।

इसकी अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन संरचना का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने हमें सूचित किया था कि इसमें गंभीर खामियां हैं। यादव के पास पथ निर्माण विभाग का प्रभार भी है। पुल का निर्माण कर रही हरियाणा स्थित कंपनी को बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा कारण बताओ नोटिस दे कर 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। कार्य की गुणवत्ता पर नजर नहीं रखने के आरोप में संबंधित विभाग ने संबंधित कार्यपालक अभियंता को निलंबित कर दिया है।

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