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इस सूरज की चमक के आगे सब पड़े फीके, दोनों पैर और एक हाथ नहीं, बावजूद इसके पास की UPSC परीक्षा

इस सूरज की चमक के आगे सब पड़े फीके, दोनों पैर और एक हाथ नहीं, बावजूद इसके पास की UPSC परीक्षा

सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नजीते मंगलवार को जारी कर दिए गए। इसमें लड़कियों ने बाजी मारी। हालंकि, सूरज तिवारी की भी खूब चर्तचा हो रही है। 27 वर्षीय सूरज तिवारी के लिए सिविल सेवा परीक्षा में विजयी होना सात समंदर पार करने जैसी बड़ी बात थी। सिविल सेवा परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल करने वाले मैनपुरी जिले के कसवा कुरावली निवासी तिवारी दिव्यांग हैं। उनके दोनों पैर नहीं हैं जबकि एक साथ ही काम नहीं करता। बावजूद इसके उन्होंने सफलता के झंडे गाड़े हैं। उनकी सफलता उनके परिवार और कस्बे के लिए खुशी का पल है। नई दिल्ली में अपने कॉलेज से लौटते समय, सूरज 29 जनवरी, 2017 को एक रेलवे स्टेशन पर एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे और घुटने के ऊपर से अपने दोनों पैर और कोहनी के ठीक नीचे अपना दाहिना हाथ खो दिया।

इसे भी पढ़ें: बिहार की गरिमा ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल किया

इस घटना ने सूरज को पूरी तरह से तोड़ दिया और वह अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर हो गए। त्रासदी ने न केवल उनके चलने और लिखने की क्षमता को छीन लिया, बल्कि उन्हें अवसाद में भी धकेल दिया। उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि यह उनके लिए सबसे काला दौर था। लेकिन सूरज जानता था कि उसके लिए फिर से चमकने के लिए कड़ी मेहनत ही उम्मीद की किरण है। सूरज ने स्नातक किया और अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से रूसी में एमए कर रहा है। इससे उनमें उम्मीद की एक नई किरण जगी लेकिन सूरज ने फैसला किया कि वह और भी चमकेंगे। सूरज ने कोविड-19 महामारी की दौरान सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक की तैयारी शुरू कर दी। उनके पिता दर्जी का काम करते हैं।

सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नजीते मंगलवार को जारी कर दिए गए। इसमें लड़कियों ने बाजी मारी। हालंकि, सूरज तिवारी की भी खूब चर्तचा हो रही है। 27 वर्षीय सूरज तिवारी के लिए सिविल सेवा परीक्षा में विजयी होना सात समंदर पार करने जैसी बड़ी बात थी। सिविल सेवा परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल करने वाले मैनपुरी जिले के कसवा कुरावली निवासी तिवारी दिव्यांग हैं। उनके दोनों पैर नहीं हैं जबकि एक साथ ही काम नहीं करता। बावजूद इसके उन्होंने सफलता के झंडे गाड़े हैं। उनकी सफलता उनके परिवार और कस्बे के लिए खुशी का पल है। नई दिल्ली में अपने कॉलेज से लौटते समय, सूरज 29 जनवरी, 2017 को एक रेलवे स्टेशन पर एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे और घुटने के ऊपर से अपने दोनों पैर और कोहनी के ठीक नीचे अपना दाहिना हाथ खो दिया।

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इस घटना ने सूरज को पूरी तरह से तोड़ दिया और वह अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर हो गए। त्रासदी ने न केवल उनके चलने और लिखने की क्षमता को छीन लिया, बल्कि उन्हें अवसाद में भी धकेल दिया। उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि यह उनके लिए सबसे काला दौर था। लेकिन सूरज जानता था कि उसके लिए फिर से चमकने के लिए कड़ी मेहनत ही उम्मीद की किरण है। सूरज ने स्नातक किया और अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से रूसी में एमए कर रहा है। इससे उनमें उम्मीद की एक नई किरण जगी लेकिन सूरज ने फैसला किया कि वह और भी चमकेंगे। सूरज ने कोविड-19 महामारी की दौरान सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक की तैयारी शुरू कर दी। उनके पिता दर्जी का काम करते हैं।

सूरज अपने पहले प्रयास में यूपीएससी की लिखित परीक्षा पास की लेकिन साक्षात्कार के लिए कुछ अंकों से चूक गए। अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की। परिणाम घोषित होने के बाद से उनके परिवार और दोस्तों ने उनकी सफलता का जश्न मनाया है। सोशल मीडिया पर इनकी खूब चर्चा है। लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं और उनके साहस को सलाम कर रहे हैं। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा मंगलवार को घोषित सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नतीजों में इशिता किशोर ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। परीक्षा के घोषित नतीजे के अनुसार, गरिमा लोहिया और उमा हरति एन ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा में क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है। यूपीएससी ने कहा है कि 933 अभ्यर्थियों ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की है।

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