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Hate Speech Verdict: कैसे चली जाती है विधायकों की सदस्यता? 2013 में SC ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला, आजम के पास क्या हैं विकल्प?

Hate Speech Verdict: कैसे चली जाती है विधायकों की सदस्यता? 2013 में SC ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला, आजम के पास क्या हैं विकल्प?

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक आजम खान को 27 अक्टूबर को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए दर्ज एक अभद्र भाषा के मामले में दोषी ठहराया गया और तीन साल जेल की सजा सुनाई गई। खान रामपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उस वक्त रामपुर सांसद / विधायक अदालत ने जमानत दे दी थी, जिसने उन्हें दोषी ठहराया था। खान ने फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के लिए आठ दिन का समय भी मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। रामपुर के विशेष अभियोजन अधिकारी एसपी पांडे ने कहा कि विधायक एक महीने के भीतर अपील दायर कर सकते हैं।

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रद्द हो सकती है आजम की विधायकी

सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2013 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, इतना ही नहीं, कैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और न ही वे चुनाव लड़ सकेंगे। दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद अयोध्या के गोसाईगंज विधानसभा के बीजेपी विधायक खब्बू तिवारी को अपनी विधानसभा सदस्यता गंवानी पड़ी थी।

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क्या विकल्प हैं शेष

आजम खान को जेल की सजा हो हो गई है। लेकिन उनके पास अभी भी कुछ विकल्प शेष हैं। अभी इस समय सपा नेता निचली अदालत का रुख कर सकते हैं। वहां पर उन्हें जमानत याचिका दायर करनी होगी। अगर याचिका स्वीकार हुई तो जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो जाएगा। लेकिन अगर इसे खारिज कर दिया गया तो ऐसी स्थिति में आजम को हाई कोर्ट का रुख करना होगा। सपा नेता आजम खान के खिलाफ 80 से ज्यादा मुकदमें दर्ज किए गए थे। इनमें कई में उनको राहत मिल चुकी है, जबकि कई अन्य में मुकदमा जारी है।

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