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जम्मू कश्मीर में करना चाहता था बड़ा हमला, पहले भी भाई के साथ घुसपैठ में पकड़ा गया

जम्मू कश्मीर में करना चाहता था बड़ा हमला, पहले भी भाई के साथ घुसपैठ में पकड़ा गया

भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के नौशेरा सेक्टर में सेना ने फिदायीन हमले की बड़ी साजिश को नाकाम कर हमले के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित आतंकी को पकड़ा है। आईएसआई ने पहली बार फिदायीन हमले के लिए नया हथकंडा अपनाकर फिदायीन को बिना हथियार घुसपैठ कराने की कोशिश की। इसे एलओसी में घुसपैठ के बाद हथियार और असलहा दिया जाना था, जिसके बाद फिदायीन हमले की साजिश थी।

एलओसी पर फिदायीन आतंकी के निहत्थे पकड़े जाने पर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट होने के साथ सकते में भी हैं। इससे पूर्व सीमा पार से फिदायीन हथियारों से पूरी तरह लैस होकर आते रहे हैं। हमले को अंजाम देकर उनकी कहानी वहीं खत्म हो जाती थी। इस बार आतंकी को जेहनी तौर पर पूरी तरह से तैयार किया गया, लेकिन उसे बिना हथियार घुसपैठ कराई गई।

ऐसे में फिदायीन तबारक को किन हथियारों से कहां और कैसा हमला करना था, एजेंसियां इन सवालों का जवाब ढूंढ रही हैं। फिदायीन हमले के लिए रची गई इस नई साजिश ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। समझा जा रहा है कि आईएसआई अब किसी नए तरीके के हमले की साजिश रच रही है।

रक्षा सूत्रों के अनुसार प्रथम दृश्टया यह फिदायीन हमले का नया हथकंडा है। इससे स्पष्ट है कि एलओसी के इस तरफ हथियार और आतंकी का ट्रांजिट अड्डा पहले से तैयार है। संभव है कि हथियारों को ड्रोन के जरिये संभावित ठिकाने तक पहुंचाया गया हो। एक अधिकारी ने बताया कि हाल के वर्षों में आईएसआई ने स्टिकी बम, तरल विस्फोटक और ड्रोन से हथियार भेजने के हथकंडे अपनाए हैं।

यह तरीके पहले से बिल्कुल अलग हैं। फिदायीन आतंकी को जेहनी तौर पर तैयार कर निहत्थे घुसपैठ कराने के पीछे बड़ी साजिश मालूम पड़ती है। इसका जल्द से जल्द खुलासा करना होगा।

पाकिस्तान की आईएसआई ने तबारक हुसैन और उसके 15 वर्षीय भाई अली को अप्रैल 2016 में तीन आतंकियों मोहम्मद काफिल, मोहम्मद अली और यासीन के साथ काल्दियो सब्जकोट से नौशेरा में एलओसी पर आईईडी लगाने भेजा था। इन सभी के पास भारी मात्रा में असलहा मौजूद था। अधिकारियों ने बताया कि इनका मकसद भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों पर आईईडी लगाकर धमाके करना था।

काफिल, मोहम्मद अली और यासीन भाग निकले थे, लेकिन नौशेरा के झांगड़ में तबारक और उसका भाई अली पकड़े गए थे। तबारक के एक और भाई मोहम्मद सईद को सेना ने नौशेरा में एलओसी पर उसी जगह से पकड़ा था, जहां से इस बार तबारक पकड़ा गया है। मोहम्मद सईद ड्रग्स के नशे में पाया गया था, जिसे कुछ समय जेल में रखने के बाद पाकिस्तान को सौंप दिया गया था।

तबारक के तार पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार तबारक ने आईएसआई के लिए करीब दो वर्ष तक काम किया है। वह खुफिया विंग के लिए जानकारी जुटाता रहा। उसे न सिर्फ एलओसी के इस तरफ की जानकारी जुटाने में प्रशिक्षित किया गया था, बल्कि पकड़े जाने पर झूठी कहानी को कैसे सच की तरह बयान करना भी सिखाया गया। एलओसी पर भींबर स्थित लश्कर के ट्रेनिंग कैंप में तबारक ने छह सप्ताह खास तरह की ट्रेनिंग भी ली है।

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