एक-दूसरे को बचाने में 4 की मौत:जिंदा बचा मजदूर बोला- आंखों के सामने मरते रहे साथी, पानी का बोलकर सेप्टिक टैंक में उतार दिया…*
एक-दूसरे को बचाने में 4 की मौत:जिंदा बचा मजदूर बोला- आंखों के सामने मरते रहे साथी, पानी का बोलकर सेप्टिक टैंक में उतार दिया…*

बीकानेर के करणी इंडस्ट्रियल एरिया में चार मजदूरों की मौत के मामले में वूलन मिल मालिक की भारी लापरवाही सामने आई है।
मजदूरों को पानी का टैंक (कुंडी) साफ करने की कहकर बुलाया था और सेप्टिक टैंक में उतार दिया।
सेप्टिक टैंक में जहरीली गैस में दम घुटने से एक-एक कर चारों मजदूरों की मौत हो गई। टैंक की सफाई के लिए मजदूरों को कोई उपकरण देने के बजाय महज एक बाल्टी थमा दी थी।
हादसे में बचे एक मजदूर विनोद ने पूरी घटना की आपबीती बताई…।
रविवार को सात मजदूरों को फैक्ट्री में बुलाया गया था। मुझे, कृष्णा उर्फ लालचंद ,जोगाराम, कालूराम को यहां रोककर, तीन मजदूरों को दूसरी मिल में भेज दिया था। हम चारों को भगवानमल सुराना की वूलन मिल में रोका गया।
हम सुबह 9 बजे यहां पहुंच गए थे। हमने पहले टैंक का पानी निकाला था। इसके बाद करीब तीन बजे हमें नीचे उतरने के लिए बोला गया था। टैंक काफी गहरा था। इसे खाली करने के लिए एक सीढ़ी लगाई गई थी।
सबसे पहले कृष्णा उर्फ लालचंद नीचे उतरा था। कृष्णा को साथी मजदूर ने कहा था कि अगर थोड़ी बहुत भी दिक्कत हो तो ऊपर आ जाना। कृष्णा जैसे ही नीचे गया, उसे चक्कर आने लगे।
वो ऊपर चढ़ रहा था और कालूराम ने मदद के लिए उसका हाथ पकड़ लिया था। तभी कृष्णा निढाल होकर नीचे गिर गया। कालूराम का हाथ पकड़ चुका था, ऐसे में कालूराम भी नीचे जा गिरा।
तीसरा साथी जोराराम ने बचाने की कोशिश की। वो थोड़ा नीचे उतरकर कालू और लालचंद को बाहर निकालना चाह रहा था, लेकिन वो खुद भी जा गिरा।
तीन लोग अंदर गिरे तो मैं चिल्लाने लगा। तभी इसी मिल में काम करने वाले कृष्णा राम ने सेप्टिक टैंक को देखा तो तीन लोग नीचे गिरे हुए थे।
वो तीनों को निकालने के चक्कर में अंदर गया, लेकिन उसको भी ऊपर आने का वक्त नहीं मिला। जहरीली गैस से वह भी अचेत हो गया। आखिर जब चारों को बाहर निकाला।
इनमें से तीन की मौत हो चुकी थी। जबकि कृष्णा की सांस चल रहा था। पीबीएम हॉस्पिटल ले जाते समय रास्ते में उसने भी दम तोड़ दिया।
पानी साफ करने के लिए बोला गया था। बीकानेर में आमतौर पर पानी के टैंक को कुंडी कहते हैं। ऐसे में हम सफाई करने चले गए थे। हमें ये नहीं कहा गया कि गैस या केमिकल के पानी वाला कोई टैंक साफ करना है।
वहां सुरक्षा के लिए कुछ नहीं दिया गया। पानी निकालने के लिए भी एक बाल्टी थमा दी गई। मिल में भी कोई सुविधा नहीं थी। अगर ये पता होता कि काम रिस्की है तो वो खुद ही नहीं आते।
लापरवाही पर अधिकारी मौन
मिल मालिक की लापरवाही पर दैनिक भास्कर ने रेंज IG, कलेक्टर और SP से बातचीत की, लेकिन किसी ने भी स्वीकार नहीं किया कि प्रथम दृष्टया लापरवाही हुई है।
वहीं खुद मजदूर मोर्च्युरी के बाहर अपने दोस्तों की मौत के बाद बताता रहा कि उन्हें सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए बोला ही नहीं था।
सुरक्षा के लिए कोई उपकरण भी नहीं दिए गए। अधिकारियों का ये ही कहना था कि जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि लापरवाही कितनी है।
हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग
चारों मृतकों के परिजनों ने बीछवाल थानाधिकारी को पत्र देकर मिल मालिक के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है। उनका आरोप है कि सुरक्षा उपकरण नहीं देकर जबरन सेप्टिक टैंक में भेजा गया,
जहां उनकी मौत हो गई। पत्र में आरोप है कि सेप्टिक टैंक में जाने के लिए उन पर दबाव बनाया गया।