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भारत का प्लान ड्रैगन, अमेरिका के जरिये चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी में नेपाल

भारत का प्लान ड्रैगन, अमेरिका के जरिये चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी में नेपाल


नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने अपने भारत दौरे से ठीक पहले चीन को एक बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। शेर बहादुर देउबा ने सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाकर मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन के तहत अमेरिका से प्रस्तावित अनुदान सहायता की पुष्टि करने की आवश्यकता को रेखांकित किया, और कहा कि 500 ​​मिलियन अमरीकी डालर का कार्यक्रम राष्ट्रीय हित के खिलाफ नहीं है। जिससे ड्रैगन बिफर गया है। चीन की ओर से कहा गया है कि अमेरिका ने अपने सियासी हितों और वैश्विक आधिपत्य को बरकरार रखने के लिए मानवाधिकारों के राजनीतिकरण का सहारा लिया है।
अमेरिका को देश में लाकर विकास योजनाओं पर काम कराने के इच्छुक

सीपीएन-माओवादी सेंटर के आठवें आम सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में देउबा ने सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाकर 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर के एमसीसी समझौते की पुष्टि करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा व्यक्त किए गए विचार को खारिज कर दिया कि समझौता नेपाल के राष्ट्रीय हित के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अनुदान सहायता है, इसलिए एमसीसी के राष्ट्रीय हित के खिलाफ जाने का कोई सवाल ही नहीं है।’’ ‘मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन’ 2004 में अमेरिकी कांग्रेस द्वारा स्थापित एक द्विपक्षीय अमेरिकी विदेशी सहायता एजेंसी है।
भारत के दौरे पर आ रहे देउबा

नए साल पर पड़ोसी मुल्क से खास मेहमान भारत के दौरे पर आ रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत के दौरे पर आ रहे हैं। देउबा के पीएम मोदी से भी मीटिंग की उम्मीद जताई जा रही है। देउबा के भारत दौरे में चीन की गतिविधियों पर भी चर्चा संभव है। देउबा भारत के दौरे पर आ रहे हैं इस बात का भरोसा दिलाने के लिए कि उनके लिए भारत जैसे पड़ोसी देश की क्या अहमियत है। इसके साथ ही नेपाल भारत और चीन के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश में लगा है। यूएस के प्रोजेक्ट को लेकर नेपाल ने

क्या है अमेरिका-नेपाल एमसीसी समझौता

नेपाल और अमेरिका ने 2017 में मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन समझौता किया था। एमसीसी के तहत अमेरिकी सरकार नेपाल को कई प्रोजेक्ट के लिए अनुदान देगी। अनुदान का उपयोग मुख्य रूप से नेपाल की बिजली परियोजनाओं में होगा। इससे नेपाल में ट्रांसमिशन लाइन को मजबूत किया जाएगा। इससे नेपाल आसानी से भारत को पनबिजली का निर्यात कर पाएगा। अमेरिका इसके जरिये नेपाल में सड़क नेटवर्क भी सुधार करेगा।

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