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*श्री रामलीला सभा रजिस्टर्ड शहर मुजफ्फरनगर के तत्वाधान में आयोजित हो रहा है सुंदर रामलीला का मंचन*

*श्री रामलीला सभा रजिस्टर्ड शहर मुजफ्फरनगर के तत्वाधान में आयोजित हो रहा है सुंदर रामलीला का मंचन*

*भये प्रकट कृपाला दीन दयाला , कौशल्या हितकारी*!
*हर्षित महतारी मुनि मन हारी*,
*अद्भुत रूप विचारी*!!

दिनांक 2 अक्टूबर को श्री रामलीला सभा रजिस्टर्ड शहर मुजफ्फरनगर के तत्वाधान में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी की लीलाओं का तीसरे दिन का मंचन किया गया मुख्य अतिथियों के स्वागत सत्कार के पश्चात दीप प्रज्वलित कर लीला मंचन का शुभारंभ किया गया अतिथियों का स्वागत शिव चरण दास गर्ग सतीश गर्ग सुखदेव मित्तल एडवोकेट नीरज अग्रवाल सुशील गोयल मास्टर जी वैभव मित्तल सिद्धार्थ मित्तल अंजू भूषण गुप्ता अनुराग शर्मा रजत गोयल सुमित गर्ग नवीन कंसल नंदकिशोर मित्तल राघव गुप्ता अनुज सिंगल अनुराग शर्मा अमित गोयल कृष्ण बंसल संजीव गोयल आदि ने किया !
मुख्य संरक्षक निर्देशक श्री साधुराम गर्ग एवं सहायक मुख्य निर्देशक श्री अजय गर्ग तथा निर्देशक गण जगन्नाथ रुहेला कमल कान्त शर्मा अरविंद दीक्षित नितिन नामदेव नेके निर्देशन में आज सर्वप्रथम दशरथ जी के दरबार से लीला का प्रारंभ होता है जिसमें दशरथ जी मुनि वशिष्ठ के आश्रम की ओर जाने का विचार करते हैं और आश्रम में पहुंचकर उनसे अपनी चिंता व्यक्त करते हैं कि मेरे पास इस राज्य को संभालने के लिए मेरा उत्तराधिकारी नहीं है इस संबंध में वशिष्ठ जी से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं मुनि वशिष्ठ श्रंगी ऋषि के बारे में बताते हैं कि यदि वह पुत्र कामेष्टि यज्ञ करेंगे तो महाराज को अपना उत्तराधिकारी प्राप्त होगा इसके पश्चात श्रृंगी ऋषि को अयोध्या में लाया जाता है और वह पुत्र कामेस्टी यज्ञ करते हैं जिसका प्रसाद तीनों रानियो को दिया जाता है तत्पश्चात भगवान विष्णु चतुर्भुज रूप में माता कौशल्या को दर्शन देते हैं और बताते हैं कि मैं मनुष्य रूप में आपके प्रकट होऊंगा इसके बाद महाराजा दशरथ के चार पुत्र जन्म लेते है उनके नामकरण संस्कार में राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न के रूप में नाम रखते हैं
फुलवारी लीला का मंचन किया जाता है और कुछ समय पश्चात् मुनि विश्वामित्र महाराजा दशरथ के पास आते हैं और दशरथ जी से श्री राम और लक्ष्मण जी को विश्व द्वारा किए जाने वाले यज्ञ की रक्षा हेतु वन ले जाने के लिए आज्ञा मांगते हैं क्योंकि वनों में राक्षसों का इतना प्रकोप है कि वह उन्हें किसी भी हालत में यज्ञ और पूजन करने नहीं देते अंत में महाराजा दशरथ भरे मन से मुनि विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण जी को भेज देते हैं
आज के मंचन पर कलाकारों के रूप में स्वराज पाल अरविंद दीक्षित कार्तिक अरोड़ा रौनक नामदेव रौनक यादव लकी मनु तरुण कृष्णा शर्मा अपसरा स्कूल की छात्राये और राम व लक्षमण जी के बाल रूप में अनन्या और वंशिका

दीपक मित्तल
कार्यकारी अध्यक्ष
श्री रामलीला सभा शहर रजिस्टर्ड टाउन हॉल मुजफ्फरनगर

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