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*घर का असली वारिस लौटा 28 साल बाद, नकली वारिस बनकर घर पर रह रहा था 12 साल से, पढ़े क्या है पूरा मामला👇*

*घर का असली वारिस लौटा 28 साल बाद, नकली वारिस बनकर घर पर रह रहा था 12 साल से, पढ़े क्या है पूरा मामला👇*

: मध्य प्रदेश के खंडवा से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. एक परिवार तब हैरान रह गया जब अचानक उनका असली बेटा लौट आया. अजीब बात तो यह थी कि परिवार के साथ सालों से खुद को उनको बेटा बताकर एक बाबा रह रहे थे. रियल लाइफ में हुए इस घटनाक्रम की अब काफी चर्चाएं हो रही है.

खंडवा. मध्य प्रदेश के खंडवा से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां 28 साल से लापता बेटा अचानक घर पंहुचा, लेकिन उसकी जगह 12 साल पहले एक अनजान ने ले ली थी. उसने परिवार वालों को बताया कि मैं संत बन गया हूं. हरिद्वार के अखाड़े से जुड़ गया हूं और नाम भी कल्याण गिरी महाराज रख लिया है. अब एक और बेटा लौटा तो परिजन भी हैरान रह गए. जब नकली बेटे से सवाल पूछा गया तो उसने कहा कि परिवार वालों का दिल न टूटे, इसलिए नकली बेटा बनकर रह रहा था. किसी फिल्म की कहानी की तरह लगने वाला ये मामला असल है. रील नहीं बल्कि रियल लाइफ में हुए इस घटनाक्रम की अब काफी चर्चाएं हो रही है.

खंडवा जिले के आदिवासी विकासखंड खालवा के ग्राम कालाआम खुर्द में एक अजीब मामला सामने आया है. यहां एक परिवार से दूर चला गया बेटा 28 साल बाद लौट आया. कहानी में एक नया मोड़ 12 साल पहले 2011 में आया था, जहां एक बाबा ने आकर अपने आप को घर से 16 साल की उम्र में गया बेटा बताकर पिछले 12 साल से परिवार के साथ रह रहा था. अब जब 28 साल बाद असली बेटा घर आया तो नकली बेटा बनकर रह रहे बाबा की पोल खुल गई.

बाबा बोले- अब जो आया है, यही आपका बेटा है

नकली युवक ने 12 साल से खुद को बेटा तो बताया. मगर बाबा का भेष धारण कर वह चार दिन घर तो एक महीने बाहर रहता था. बाबा ने परिवार से मिलने के बाद ग्राम के ही बंडा बेड़ी हनुमान मंदिर पर महाविष्णु यज्ञ भी करवाया था. अब खुर्द गांव पहुंचे दिनेश पिता जागेश्वर को जब छोटे भाई विनोद लोवंशी ने देखा तो पहचान गया और घर ले गया, जहां परिवार भी असमंजस की स्थिति में था. असली बेटा जब लौटा, तब बाबा बनकर रह रहा शख्स यूपी गया था. जब फोन लगाकर बाबा से बात कि तो उन्होंने बताया कि परिवार वाले मुझे अपना बेटा समझ रहे थे, तो मैंने भी उनका मन रखने के लिए उनका पुत्र बता दिया. बाबा ने फोन पर बताया कि अब जो आया है, यही आपका बेटा है.

घर लौटकर आए दिनेश के पिता जागेश्वर ने बताया कि जिस बाबा को हम अपना बेटा समझ रहे थे, वह दिनेश नहीं था. आज जो आया है वही दिनेश है. हालांकि परिजन का कहना है कि बाबा ने हमारे साथ कोई धोखाधड़ी नहीं की. हमने भी बाबा को अपने बच्चे जैसे रखा था. बाबा दिवाली से पहले ही घर से चले गए थे. दिनेश के घर पहुंचने की खबर मिलते ही ग्रामीण और मित्र दिनेश से मिलने घर पहुंचे. दिनेश के घर लौटने पर पिता जागेश्वर, मां शीलू बाई, भाई विनोद, राजेंद्र बहन अनीता सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है.

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