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*स्मार्टफोन का प्रयोग नशे से भी बनी बुरी लत, बच्चों द्वारा स्मार्टफोन का प्रयोग बना चिंता का विषय, नींद ना पूरी होने के कारण स्वास्थ्य पर पड़ रहा है बुरा असर, सजग बने और बच्चों को भरपूर नींद लेने दे, पढिए पूरी रिपोर्ट👇*

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आपके बच्चे की नींद ही नहीं, आत्मविश्वास को भी बर्बाद कर रहा है माेबाइल का ज्यादा इस्तेमाल, एक साइकोलाॅजिस्ट बता रही हैं कैसे

मोबाइल से मिलने वाली सुविधाओं से हमारा जीवन काफी आसान हो गया है। वयस्कों के साथ-साथ बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी यह खतरनाक है। इस आलेख के माध्यम से हम जानते हैं कि किस तरह यह बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

मोबाइल की एक क्लिक पर कई सारी जानकारियां और सुविधाएं हमारी मुट्ठी में होती हैं। मोबाइल से हमें कई सारे लाभ मिलते हैं। यहां तक कि मोबाइल पर मौजूद हेल्थ एप हमें स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक बनाता है। कहावत है अति सर्वत्र वर्जयेत। यदि हम मोबाइल का उपयोग जरूरत से अधिक करने लगते हैं, तो यह हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है। बड़ों की तरह बच्चों के लिए भी हजार सुविधाएं मोबाइल पर मौजूद हैं। जब बच्चे मोबाइल का उपयोग अधिक करने लगते हैं, तो यह उनके फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ (Mobile effect on mental health) को भी प्रभावित करने लगता है।

कैसे मोबाइल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है? (Mobile effect on mental health)
यदि आरएफ रेडिएशन (Radio Frequency
Radiation) काफी अधिक है, तो इसका थर्मल प्रभाव (Thermal Effect) भी होता है। इसका मतलब यह हुआ कि यह शरीर का तापमान बढ़ा देता है। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिकेशन शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि मोबाइल फोन से उत्सर्जित आरएफ विकिरण का लो लेवल भी सिरदर्द या ब्रेन ट्यूमर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।

मोबाइल के कारण बच्चों में पुअर स्लीप क्वालिटी से लेकर तनाव, एंग्जाइटी और हाई लेवल डिप्रेशन तक हो सकते हैं। इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडीएट्रीक्स के अनुसार, 2 साल से छोटे बच्चों को किसी भी प्रकार का स्क्रीन नहीं देखने देना चाहिए। यहां तक कि टीनएजर्स को 2 घंटे से अधिक मोबाइल नहीं देखने दें।

यहां हैं 5 कारण, जिससे पता चलता है कि मोबाइल बच्चों की मानसिक परेशानी बढ़ा रहा है
1 हीन भावना के हो सकते हैं शिकार (Inferiority Complex)
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि मोबाइल फोन पर बहुत अधिक समय बिताने से बच्चों में सोशल स्किल की कमी हो जाती है। इसके कारण वे समाज और परिवार के लोगों से बात करने में कतराने लगते हैं। वे वर्चुअल वर्ल्ड में जीने लगते हैं। यदि उन्हें फेसबुक पर लाइक नहीं मिलता है, तो वे हीन भावना के शिकार हो जाते हैं। वर्चुअल वर्ल्ड में सभी खुद को अच्च्छा-अच्छा पेश करते हैं। इसलिए जब वे सच्चाई से अवगत होते हैं, तो उन्हें बहुत बुरा लगता है।इससे उनका मेंटल हेल्थ भी प्रभावित हो जाता है।

2 स्ट्रेस और एंग्जाइटी (Stress and Anxiety)
मोबाइल फोन पर बहुत अधिक समय बिताने से बच्चों में स्ट्रेस और एंग्जाइटी (mobile effect on mental health) हो सकती है। बच्चे जितना अधिक मोबाइल का उपयोग करते हैं, वे उतना ही अधिक फोन पर समय बिताना चाहते हैं। उनके लिए फोन देखना नशा की तरह हो जाता है। यदि उन्हें फोन देखने के लिए नहीं मिलता है, तो वे एग्रेसिवनेस दिखाने लगते हैं। इससे वे स्ट्रेस और एंग्जायटी के शिकार हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के मोबाइल के लत के शिकार होने के पहले सतर्क हो जाएं।

मोबाइल फोन पर बहुत अधिक समय बिताने से बच्चों में स्ट्रेस और एंग्जाइटी हो सकती है। चित्र :अडोबी स्टॉक
3 अवसाद (Depression)
वयस्क हों या बच्चे, जो कोई भी मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग करता है, उसके अवसाद के लेवल का स्कोर हाई होने की संभावना अधिक होती है। दरअसल मोबाइल अन्य फिजिकल और हैप्पीनेस वाली गतिविधियों में हस्तक्षेप कर सकते हैं। सोशल एक्टिविटीज को बाधित कर सकते हैं। इससे व्यवहारिक सक्रियता कम हो सकती है।इससे अवसाद भी बढ़ता है।

4 बिना कारण के दुखी रहना (Mobile causes sadness in children)
मोबाइल बच्चों को दुखी कर रहा है। इसके अधिक उपयोग को समस्या के रूप में देखना चाहिए। बच्चे को यदि मोबाइल पर विज्ञापित की गई सामग्री नहीं मिलती है,तो वे दुखी हो जाते हैं। बिना वजह के गुस्सा करने लग जाते हैं। दूसरी तरफ जब बच्चे मोबाइल फोन के उपयोग को नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं, तो यह उनके समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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5 व्यवहार संबंधी समस्या (Behavioural problems)
मोबाइल के उपयोग से मेलाटोनिन हार्मोन का अत्यधिक स्राव हो सकता है, जो मस्तिष्क के विकास (mobile effect on mental health) को प्रभावित करता है। यह व्यवहार संबंधी समस्याओं का कारण बनता है। परिवार और समाज से कटकर बच्चा मोबाइल पर सिमट आता है। इसके कारण कम्युनिकेशन प्रभावित होता है। कम्युनिकेशन के अभाव में बच्चा कई तरह की मानसिक और सामजिक समस्याओं से भी घिर सकता है।

मोबाइल के उपयोग से मेलाटोनिन हार्मोन का अत्यधिक स्राव हो सकता है, जो मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है।

अंत में
क्या आप अपने बच्चों में मानसिक समस्याओं को रोकना चाहती हैं? यदि हां तो तुरंत उनके मोबाइल देखने की सीमा को कंट्रोल (mobile effect on mental health) करें। उनके साथ समय बिताने की कोशिश करें। उनसे बात करके उनके मन की बात को समझने की कोशिश करें। तभी आपका बच्चा मोबाइल फोन के मेंटल हेल्थ पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षित हो पायेगा।

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