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Uniform Civil Code: PM Modi के बयान पर बोले कपिल सिब्बल, नौ साल बाद क्यों सताने लगी मुसलमानों की चिंता?

Uniform Civil Code: PM Modi के बयान पर बोले कपिल सिब्बल, नौ साल बाद क्यों सताने लगी मुसलमानों की चिंता?

पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को लेकर कटाक्ष किया है। कपिल सिब्बल ने साफ तौर पर पूछा कि उनका प्रस्ताव कितना “समान” है और क्या यह हिंदुओं, आदिवासियों और पूर्वोत्तर को कवर करता है। दरअसल, हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूसीसी को लेकर एक सबयान दिया था। इसी के बाद देश में इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है। विपक्षी दल जबरदस्त तरीके से केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

कपिल सिब्बल का ट्वीट
राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने बुधवार को ट्वीट किया। इस ट्वीट के जरिए सिब्बल ने मोदी से तीन सवाल पूछे हैं। सिब्बल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया… विपक्ष पर मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाया.. पहला सवाल, आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 (चुनाव के लिए)? दूसरा सवाल, आपका प्रस्ताव कितना ‘समान’ है, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं? तीसरा सवाल, हर दिन आपकी पार्टी मुसलमानों को निशाना बनाती है। क्यों? अब आपको चिंता हो रही है।’’

मोदी ने क्या कहा था
नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का उल्लेख है। उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।’’ उन्होंने कहा, ये लोग (विपक्ष) हम पर आरोप लगाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि वे मुसलमान, मुसलमान करते हैं। अगर वे वास्तव में मुसलमानों के हित में (काम) कर रहे होते, तो मुस्लिम परिवार शिक्षा और नौकरियों में पीछे नहीं होते।”

गौरतलब है कि विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है।

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