ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राष्ट्रीय

चुनाव से पहले UP में एसपी और आप साथ-साथ ! आखिर बढ़ती नजदीकियों की वजह क्या है ?

चुनाव से पहले UP में एसपी और आप साथ-साथ ! आखिर बढ़ती नजदीकियों की वजह क्या है ?

चुनाव से पहले UP में एसपी और आप साथ-साथ ! आखिर बढ़ती नजदीकियों की वजह क्या है ?

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी संभावनाओं को देखते हुए रणनीति बनाने में जुट गई हैं। इन सबके बीच समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी की नज़दीकियां दिखाई दे रही है। दरअसल, इसकी शुरुआत 29 जून को सपा के राष्ट्रीय महासचिव और अखिलेश यादव के फैसलों में अहम भूमिका निभाने वाले रामगोपाल यादव के जन्मदिन पर हुई थी। उनके जन्मदिन पर आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने बधाई दी थी। हालांकि आपको लगेगा कि बधाई देना तो सामान्य सी बात है, इसमें अलग क्या है? अलग संजय सिंह के शब्द थे। जो संजय सिंह पहले समाजवादी पार्टी पर आक्रमक हुआ करते थे। उन्होंने रामगोपाल यादव के लिए लिखा कि राज्यसभा में अपने ओजस्वी वक्तव्य से विपक्षियों को लाजवाब करने वाले सौम्य स्वभाव के धनी आदरणीय श्री रामगोपाल यादव जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

या यूं ही नहीं है कि संजय सिंह ने रामगोपाल यादव को ओजस्वी वक्ता और सौम्य स्वभाव के धनी बताया इसके पीछे विधानसभा चुनाव है और उसमें आम आदमी पार्टी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इन सबके बीच 1 जुलाई को संजय सिंह ने अखिलेश यादव को भी जन्मदिन की बधाई दे दी और 3 जुलाई को मुलाकात करने उनके आवास पहुंच गए। इस मुलाकात को छिपाने की कोशिश नहीं हुई। बल्कि सार्वजनिक तौर पर मुलाकात की तस्वीरों को संजय सिंह ने अपने ट्विटर पर शेयर किया। अखिलेश यादव के साथ अपनी फोटो को साझा करते हुए संजय सिंह ने लिखा कि चुनावी व्यस्तता के बावजूद मुलाक़ात का समय देने के लिये आपका अत्यंत आभार। भाजपा की दमनकारी नीतियों और ज़िला पंचायत के चुनाव में लोकतंत्र को लूटतंत्र में परिवर्तित करने के मुद्दे पर भी गहन चर्चा हुई।

यूपी में आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक चर्चा जोरों पर है। असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती दे रहे हैं। ओवैसी ने योगी से कहा था कि वह उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री दोबारा नहीं बनने देंगे। ओवैसी की चुनौती को योगी ने स्वीकार किया। इसके बाद संजय सिंह ने भी अपना बयान दिया। इस बयान में कहीं ना कहीं अखिलेश यादव को ताकतवर बनाने की कोशिश की गई। संजय सिंह ने कहा कि योगी ओवैसी की चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं जिसका उत्तर प्रदेश में एक भी विधायक नहीं है। उस पार्टी की चुनौती नहीं स्वीकार रहे जिसके पांच सांसद और 50 विधायक है। जाहिर सी बात है कहीं ना कहीं संजय सिंह ने अपने इस बयान के जरिए अखिलेश यादव के साथ खड़े होने का संकेत भी दिया। लेकिन कहते हैं ना कि राजनीति में बिना मकसद के कुछ भी नहीं होता। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में महज 7 महीनों का वक्त बचा हुआ है। ऐसे में कुछ दर्द एक दूसरे से मेल मिला पढ़ाने की कोशिश में जुट गए हैं।

2017 में कांग्रेस और 2019 में बसपा के साथ गठबंधन करके समाजवादी पार्टी को कुछ हासिल नहीं हो सका। ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी एक साथ जाती है तो कहीं ना कहीं अरविंद केजरीवाल के नाम का समर्थन अखिलेश यादव को मिल सकता है। दूसरी ओर दिल्ली और पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश में भी आम आदमी पार्टी को समाजवादी पार्टी के सहारे पनपने का मौका भी मिल सकता है। अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति में अपनी छवि बुलंद कर चुके हैं। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि वह दिल्ली में दो-दो बार भाजपा को हराने में कामयाब रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव का मुकाबला भाजपा से ही है। अगर एक ओर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी रहेगी तो दूसरी और अखिलेश यादव अपने साथ किसी बड़े नेता को मंच पर जरूर रखना चाहेंगे।

आम आदमी पार्टी बाकी दलों की तुलना में कम सीटों पर उत्तर प्रदेश में मान सकती है। आम आदमी पार्टी को बहुत ज्यादा सीटों की उम्मीद नहीं है। ऐसे में 10 से 12 सीट भी आम आदमी पार्टी को समाजवादी पार्टी के सहारे लड़ने को मिलता है तो उसके लिए बड़ी बात होगी। कहीं ना कहीं आम आदमी पार्टी को विधानसभा के अंदर एंट्री की उम्मीद हो सकती है। अगर आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव में जाती है तो उसे एक भी सीट की उम्मीद नहीं है। संजय सिंह यूपी के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं। मुलायम सिंह यादव के एक वक्त बेहद करीबी थे जब आम आदमी पार्टी का गठन नहीं हुआ था।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!