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आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उलेमाओं को जोड़ेंगे NSA डोभाल, इस्लाम को बताया शांति का मजहब

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उलेमाओं को जोड़ेंगे NSA डोभाल, इस्लाम को बताया शांति का मजहब

इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया को डी-रेडिकलाइजेशन पर आम आख्यान विकसित करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। वो भारत और इंडोनेशिया में आपसी शांति और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने में उलेमा की भूमिका पर बोल रहे थे। एनएसए ने कहा कि लोकतंत्र में अभद्र भाषा, पूर्वाग्रह, प्रचार, राक्षसीकरण, हिंसा, संघर्ष और धर्म के दुरूपयोग के लिए कोई जगह नहीं है। अजीत डोभाल ने इस्लाम को लेकर कहा है कि इस्लाम शांति का मज़हब है जो कहता है कि एक इंसान का कत्ल सारी इंसानियत के कत्ल के बराबर है।

उन्होंने कहा कि इसमें उलेमाओं की अहम भूमिका होती है। इस्लाम के मूल सहिष्णु और उदारवादी सिद्धांतों पर लोगों को शिक्षित करने और प्रगतिशील विचारों और विचारों के साथ कट्टरता और उग्रवाद का मुकाबला करने में उनकी अग्रणी भूमिका है। उन्होंने कहा, “हमारे युवाओं को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। वे अक्सर कट्टरता का प्राथमिक लक्ष्य होते हैं, लेकिन अगर उनकी ऊर्जा को सही दिशा में पोषित किया जाता है, तो वे परिवर्तन के अग्रदूत और किसी भी समाज में प्रगति के ब्लॉक के रूप में उभर सकते हैं।

एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि इंडोनेशिया में हाल ही में आए भूकंप से जान-माल के नुकसान से हम सभी को दुख हुआ है। पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। दुख की इस घड़ी में भारत इंडोनेशिया के साथ खड़ा है। बता दें कि एनएसए डोभाल दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम में उलेमा ‘इस्लाम: निरंतरता और परिवर्तन’, ‘सामंजस्यपूर्ण अंतर-विश्वास समाज’ और ‘भारत और इंडोनेशिया में कट्टरता और उग्रवाद का मुकाबला’ विषयों पर तीन बंद सत्रों में भाग लेंगे।

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