ब्रिटेन से वापस आएगी शिवाजी महाराज की तलवार, ऋषि सुनक से संपर्क करेगी महाराष्ट्र सरकार, जानें ‘जंगदबा’ का क्या है इतिहास?
ब्रिटेन से वापस आएगी शिवाजी महाराज की तलवार, ऋषि सुनक से संपर्क करेगी महाराष्ट्र सरकार, जानें 'जंगदबा' का क्या है इतिहास?

ब्रिटेन में जब से नई सरकार बनी है और भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री का पदभार संभाला है, तभी से भारतीयों की उम्मीदें काफी बढ़ गई है। ऋषि सुनक की ताजपोशी आम लोगों के साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार के लिए भी एक उम्मीद लेकर आई है। महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज की तलवार को लंदन से भारत वापस लाने के लिए काम कर रही है। सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि मराठा राजा के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होने के मौके पर छत्रपति शिवाजी महाराज की “जगदंबा” तलवार को 2024 तक वापस लाने के लिए राज्य सरकार ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ चर्चा करेगी।
शिवाजी की तलवार का इतिहास क्या है?
बता दें कि 6 जून, 1674 को रायगढ़ किले में शिवाजी को उनके साम्राज्य का सम्राट घोषित किया गया था। मुनगंटीवार ने कहा कि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ पत्राचार शुरू कर दिया है। इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने तलवार की यात्रा का पता लगाने वाली एक किताब (‘शोध भवानी तलवारिचा’) लिखी है। उनके अनुसार 1875-76 में शिवाजी चतुर्थ द्वारा एडवर्ड, प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद के राजा एडवर्ड सप्तम) को दी गई थी। करवीर के छत्रपति के पास यह तलवार थी जिसका उपयोग शिवाजी महाराज करते थे। सावंत ने कहा, दोनों (एडवर्ड और शिवाजी चतुर्थ) के बीच मुंबई में बैठक हुई थी, और वापसी उपहार के रूप में, वेल्स के राजकुमार ने शिवाजी चतुर्थ को एक और तलवार भेंट की थी।
शिवाजी की तलवार अब लंदन में कहाँ है?
सावंत के अनुसार, तलवार लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट का हिस्सा है। सावंत ने कहा कि किंग एडवर्ड सप्तम के हथियारों की एक सूची जो लंदन में छपी थी, उसमें तलवार को “शिवाजी महान के अवशेष” के रूप में वर्णित किया गया था। रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट की वेबसाइट पर महाराष्ट्र की 18वीं सदी की “तलवार और म्यान” की एक तस्वीर है।
शिवाजी की तलवार प्रिंस एडवर्ड को क्यों भेंट की गई?
शिवाजी चतुर्थ उस समय बमुश्किल 11 वर्ष के थे और उस समय के कई अन्य भारतीय राजाओं की तरह, उन्हें अंग्रेजों ने मूल्यवान “उपहार” देने के लिए मजबूर किया, जिसमें ऐतिहासिक महत्व के हथियार शामिल थे। प्रिंस एडवर्ड को हथियार जमा करने का विशेष शौक था। मराठा राजा को उनका वापसी उपहार, जो एक और तलवार थी, अब कोल्हापुर के न्यू पैलेस संग्रहालय में है। इस तलवार की विशिष्टताओं को इस पर अंकित किया गया है।