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मनीष सिसोदिया का केंद्र सरकार पर हमला, मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के मसले पर सियासत जारी

मनीष सिसोदिया का केंद्र सरकार पर हमला, मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के मसले पर सियासत जारी

सिसोदिया ने सवाल किया कि भाजपा के लोग इधर-उधर की बातें कर लोगों को बरगलाने के बजाय सीधे-सीधे यह बताएं कि आखिर क्यों जनता के टैक्स के पैसों से जनता को सुविधाएं देने के बजाय दोस्तों की तिजोरियां भरी जा रही हैं।

मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के मुद्दे पर शुरू हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। दिल्ली सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के दोस्तवाद की वजह से आजादी के 75 सालों में पहली बार ऐसे हालात पैदा हो गए हैं कि केंद्र सरकार दूध-दही, आटा-चावल पर टैक्स लगा रही है।

यही नहीं, केंद्र सरकार कह रही है कि वह सरकारी स्कूल, अस्पताल नहीं बनवा सकते, बुजुर्गों को पेंशन और जनकल्याणकारी योजनाएं नहीं चला सकते। मीडिया से बातचीत में शनिवार को सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने जनता के टैक्स के पैसों से अपने दोस्तों की पहले तिजोरी भरी और अब कह रही है कि सरकार से शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, दवाइयां फ्री नहीं मिलेंगी। यही नहीं, दूध-दही जैसी बुनियादी चीजों पर टैक्स मांग रही है।

सिसोदिया ने बताया कि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा भी इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि आजादी के इतिहास में पहली बार आम उपभोग की चीजों पर टैक्स क्यों लगाया गया, जन कल्याणकारी योजनाएं उनकी सरकार क्यों बंद कर रही है।

सिसोदिया ने सवाल किया कि भाजपा के लोग इधर-उधर की बातें कर लोगों को बरगलाने के बजाय सीधे-सीधे यह बताएं कि आखिर क्यों जनता के टैक्स के पैसों से जनता को सुविधाएं देने के बजाय दोस्तों की तिजोरियां भरी जा रही हैं। उन्होंने फिर से दोहराया कि दोस्तवादी सरकार ने चंद दोस्तों के 5 लाख करोड़ के टैक्स और 10 लाख करोड़ के लोन माफ कर दिए। जनता ने सरकार को जो पैसे उन्हें अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए दिया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुफ्त की रेवड़ियां बांटने वाले राज्य सरकारों से कहा है कि राज्य की वित्तीय सेहत का ध्यान रखें और इनके लिए बजट में प्रावधान करें। देश में बढ़ती रेवड़ी संस्कृति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आपत्ति के कुछ दिन बाद सीतारमण ने कहा कि यह अच्छी बात है कि इस मुद्दे पर देश में बहस आरंभ हुई है।

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