नई दिल्ली

काला धन जब्त करने की संभावनाएं तलाशने का निर्देश देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल

काला धन जब्त करने की संभावनाएं तलाशने का निर्देश देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल


नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय में मंगलवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर केंद्र सरकार को सौ फीसदी काला धन और बेनामी संपत्ति जब्त करने के साथ-साथ आय से अधिक संपत्ति, धन शोधन, कर चोरी तथा मादक व नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों में दोषियों को उम्रकैद की सजा देने की संभावनाएं तलाशने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में रिश्वतखोरी, काला धन, बेनामी संपत्ति, कर चोरी, आय से अधिक संपत्ति, धन शोधन, मुनाफाखोरी, जमाखोरी, मिलावट, मानव एवं नशीले पदार्थों की तस्करी और कालाबाजारी से संबंधित विकसित देशों के कड़े भ्रष्टाचार निरोधी कानूनों का अध्ययन कर तीन महीने में एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने या विधि आयोग को इस संबंध में निर्देश जारी करने की भी अपील की गई है।

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याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दावा किया कि केंद्र सरकार, राज्यों और स्थानीय निकायों का कुल बजट 70 लाख करोड़ रुपये के करीब है, लेकिन हर सरकारी विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण बजट का लगभग 20 प्रतिशत यानी 14 लाख करोड़ रुपये काले धन में तब्दील हो जाता है। याचिका में कहा गया है, “सरकार 100 रुपये से अधिक के नोट प्रतिबंधित करके, पांच हजार रुपये से अधिक के नकद लेन-देन पर रोक लगाकर, 50,000 रुपये से अधिक की संपत्ति को आधार से जोड़कर, आय से अधिक सौ फीसदी संपत्ति, काला धन, बेनामी संपत्ति को जब्त करके तथा लुटेरों को आजीवन कारावास की सजा देकर इस भारी-भरकम रकम को बचा सकती है।” याचिका के मुताबिक, भ्रष्टाचार लोकतंत्र और कानून के शासन को कमजोर करता है, जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, बाजार की स्थिति बिगड़ती है, जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है तथा अलगाववाद, आतंकवाद, नक्सलवाद, कट्टरपंथ, जुआ, तस्करी, अपहरण, धन शोधन व जबरन वसूली जैसे संगठित अपराधों को बढ़ावा मिलता है और मानव सुरक्षा के लिए अन्य खतरे भी पनपते हैं।

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इसमें कहा गया है, “भ्रष्टाचार ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) और बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवारों के विकास के लिए निर्धारित धन को ‘डायवर्ट’ कर उन्हें प्रभावित करता है, बुनियादी सेवाएं मुहैया कराने की सरकार की क्षमता घटाता है, समाज में असमानता व अन्याय के बीज बोता है तथा विदेशी सहायता एवं निवेश को हतोत्साहित करता है।” याचिका के अनुसार, केंद्र और राज्यों को कड़े भ्रष्टाचार निरोधी कानून लागू करने चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि सरकार भ्रष्टाचार, काला धन, बेनामी लेनदेन और धन शोधन के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें कहा गया है कि भ्रष्टाचार बीपीएल परिवारों को बुरी तरह से प्रभावित करता है, क्योंकि यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली को विकृत एवं बाधित करता है। याचिका में केंद्रीय गृह, वित्त और कानून एवं न्याय मंत्रालय के अलावा भारत के विधि आयोग और दिल्ली सरकार को पक्षकार बनाया गया है।

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