भारत को भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए अन्ना हजारे लेकर आये थे राष्ट्रव्यापी क्रांति
भारत को भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए अन्ना हजारे लेकर आये थे राष्ट्रव्यापी क्रांति


भारत को भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनाने का सपना अन्ना हजारे ने देखा था। अन्ना हजारे ने यह सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए काफी संघर्ष भी किया। अन्ना हजारे ने भ्रष्ट शक्तिशाली वर्गों के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी क्रांति उत्पन्न की और उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लोकपाल बिल लाने की मांग की, जिसके लिए वह लंबे समय तक आंदोलन करते रहे। अन्ना हजारे का जन्म किसान बाबूराव हजारे के रूप में 15 जून 1937 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के पास भिंगर में हुआ था।
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अन्ना हजारे की शुरूआत से ही सामाजिक सेवा करने में दिलचस्पी रही थी। वह हमेशा लोगों की सेवा करते थे। एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया। अन्ना मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा निर्धारित अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति हैं। वह गांधी जी के विचारों से भी काफी ज्यादा प्रभावित रहे हैं। उन्होंने देख से भ्रष्टाचार खत्म करने और सामाजिक रूप से लोगों को हो रही परेशानियों पर कई बार अवाज उठाई, आवाज न सुनने पर उन्होंने भूख हड़ताल भी की।
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किसान बाबूराव यानी की “अन्ना” हजारे एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने साल 2011 में सरकार के खिलाफ आंदोलन किया। भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने कड़े कानून बनाने की मांग की थी। अन्ना हजारे की बदौलत ही सरकार लोकपाल बिल लेकर आयी। हांलाकि इस बिल में काफी मांगों को नहीं रखा गया था लेकिन सरकार को अन्ना द्वारा लेकर आयी भ्रष्टाचार के खिलाफ क्रांति के आगे झुकना पड़ा था। अन्ना द्वारा चलाए गये आंदोलन का नाम- ‘भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन’ था। इसे लोकप्रिय रूप से अन्ना आंदोलन के नाम से जाना जाता है। साल 2011 में पूरे भारत में अन्ना के आंदोलन की एक ऐसी आंधी चली थी जिसका उद्देश्य राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत कानून और प्रवर्तन स्थापित करना था।
टाइम पत्रिका द्वारा इस आंदोलन को 2011 की 10 बड़ी खबरों में जगह दी गयी थी। आंदोलन को 5 अप्रैल 2011 से गति मिली जब भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने नई दिल्ली में जंतर मंतर स्मारक पर भूख हड़ताल शुरू की। इस आंदोलन का उद्देश्य जन लोकपाल विधेयक की शुरूआत के माध्यम से भारत सरकार में भ्रष्टाचार को कम करना था। एक अन्य उद्देश्य, जिसका नेतृत्व रामदेव, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल आदि ने किया था, वह था विदेशी बैंकों से काले धन का प्रत्यावर्तन।
अन्ना हजारे ने भले ही अहिंसा के रास्ते पर चलकर बड़े-बड़े काम किए हैं लेकिन उन्होंने अपने बचपन में काफी कुछ सहा है। अन्ना हजारे ने अपनी सातवीं क्लास की पढ़ाई फी फूल बेचकर की थी। वह अपनी चाची के पास रह रहे थे। अन्ना हजारे 1960 में भारतीय़ सेना में शामिल हुए हैं। उन्होंने एक सैनिक के रूप में प्रमाणित होने से पहले एक ट्रक चालक के रूप में कार्य किया। हजारे 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सीमा के खेमकरण इलाके में तैनात थे। वह दुश्मन के हमले से बचने वाले एकमात्र व्यक्ति थे।
