पाकिस्तान पर ईरान का हमला दोहरी नीति पर चलने वालों के लिए बड़ा सबक है
पाकिस्तान पर ईरान का हमला दोहरी नीति पर चलने वालों के लिए बड़ा सबक है

अपने देश में आतंकी घटनाओं से परेशान ईरान ने भी आखिरकार बड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान में घुसकर आतंकी संगठन जैश अल-अदल के ठिकानों पर जोरदारी बमबारी की है। बताया जा रहा है कि ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स द्वारा किए गए मिसाइल और ड्रोन हमले में बलोच आतंकी संगठन जैश अल अदल के दो प्रमुख मुख्यालय तबाह हो गए हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त पर हुए इस ईरानी हमले से पहले का घटनाक्रम भी काफी दिलचस्प है। पाकिस्तान में घुस कर आतंकी संगठन पर हमला करने से कुछ देर पहले ही दावोस में ईरान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर से मुलाकात की थी। इससे भी दिलचस्प तथ्य तो यह है कि ईरानी विदेश मंत्री से विदेशी धरती पर मुलाकात करने वाले पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर अतीत में बलूचिस्तान की सरकार के प्रवक्ता रह चुके हैं, बाद में उन्होंने बलूचिस्तान अवामी पार्टी के नाम से अपना खुद का राजनीतिक दल भी बनाया और वह बलूचिस्तान में सैन्य कार्रवाइयों का समर्थन करते रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से यह भी अंदाजा हो जाता है कि दुनिया धीरे-धीरे पाकिस्तान के नेताओं की असली हैसियत को समझने लगी है कि पाकिस्तान में नेताओं की कोई हैसियत नहीं है, चाहे वो किसी भी पद पर बैठे हो। यहां तक कि शांति और अमन-चैन की बात करने वाली पाकिस्तान की सिविल सोसायटी भी अब धीरे/धीरे बेनकाब होती जा रही है।
आखिर यह खेल कब तक चल सकता है कि जिस पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आतंकवादियों को पनाह देकर, उन्हें पाल पोस कर दुनियाभर के देशों के बेगुनाह नागरिकों को मरवायें और वहां के राजनीतिक हुक्मरान और सिविल सोसायटी के लोग शांति और अमन-चैन का राग अलापते रहे। पाकिस्तान की यह दोहरी नीति अब बेनकाब होती जा रही है।
पाकिस्तान को हथियार, सैन्य साजो-सामान और अरबों डॉलर की मदद देकर पाकिस्तान को दुनियाभर में आतंक फैलाने का ट्रेनिंग सेंटर बनाने वाला अमेरिका तो बहुत पहले से ही पाकिस्तान की दोहरी फितरत को समझता था इसलिए उसने बातचीत और शांति के झांसे में आए बिना पाकिस्तान के ऐबटाबाद में हमला बोलकर आतंकी संगठन अल कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। पाकिस्तान की सेना, सरकार और वहां की सिविल सोसायटी इस अमेरिकी हमले पर बिलबिलाकर रह गई लेकिन कुछ कर नहीं पाई क्योंकि अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए पाकिस्तान के लोगों की असलियत जानती है।
भारत में भी पिछली कई सरकारें कभी जानबूझकर तो कभी अनजाने में पाकिस्तान के इस ट्रैप में फंसती रही थी। भारत एक तरफ जहां पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवादियों के हमले को झेल रहा था तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में शांति का राग अलापने वाली तथाकथित सिविल सोसायटी और नेताओं के झांसे में फंसकर शांति की बातचीत भी कर लिया करता था और भारत में जब भी कोई बड़ा आतंकी हमला होता था तो ये पल्ला झाड़ते हुए सांत्वना देते थे कि बातचीत से ही आतंकवाद का समाधान हो सकता है।
लेकिन नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के इस दोहरे चरित्र को अच्छे से समझते थे इसलिए 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने पाकिस्तान के झांसे में आना बंद कर दिया। वर्ष 2016 में हुए उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बातचीत के झांसे में आए बिना 10 दिन के अंदर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अपनी सेना भेजकर, सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकी संगठन और पाकिस्तान को करारा सबक सिखाया। लेकिन अपनी आदत से लाचार पाकिस्तान ने जब 2019 में फिर से पुलवामा में आतंकी हमला करवाया तो भारत ने फिर पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को यह बता दिया कि अब भारत जवाब देगा,घर में घुसकर मारेगा और उस दिन के बाद से अब तक भारत में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने ईरानी हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए यह साफ तौर पर कहा कि, “ये ईरान और पाकिस्तान के बीच का मामला है। जहां तक भारत का सवाल है,आतंकवाद को लेकर हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की है। हम इस बात को समझते हैं कि कई देश आत्मरक्षा में कार्रवाई करते हैं।”
अमेरिका और भारत के बाद अब ईरान ने भी पाकिस्तान में घुसकर यह साबित कर दिया है कि आतंकवादियों को ढाल बनाकर लड़ने वाली पाकिस्तानी सेना कितनी कमजोर है और अब फैसला पाकिस्तान की अवाम को, वहां की सिविल सोसायटी को और राजनीतिक दलों के नेताओं को करना ही होगा कि आखिर वह आतंकवाद को पनाह देने के मामले में कब तक चुप रहेंगे ? इन तमाम लोगों को अब दुनियाभर को शांति और अमन-चैन का झूठा पैगाम देने की बजाय अपनी सेना को न केवल यह पैगाम देना होगा बल्कि उन्हें मानने पर भी मजबूर करना पड़ेगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब दुनिया पाकिस्तान को आतंकिस्तान का आधिकारिक नाम दे देगी और आतंकी घटना का सामना करने वाला हर देश पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान को मारता रहेगा।