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महिला आरक्षण विधेयक का क्रियान्वयन भाजपा की ‘मनुवादी’ सोच के विपरीत : अनुमा आचार्य

महिला आरक्षण विधेयक का क्रियान्वयन भाजपा की ‘मनुवादी’ सोच के विपरीत : अनुमा आचार्य

आचार्य ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा लाया गया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका, और 2014 में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के साथ इसे पारित करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन राजग सरकार ने इसे पारित करने केलिए कुछ नहीं किया।
कांग्रेस नेता अनुमा आचार्य ने सोमवार को कहा कि महिला आरक्षण विधेयक राजनीतिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए उपयुक्त है और उसे सुर्खियों में लाता है, लेकिन इसका कार्यान्वयन पार्टी की मनुवादी विचारधारा से मेल नहीं खाता है। अनुमा आचार्य ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को बेनकाब करने के लिए देश भर के 21 शहरों में 21 संवाददाता सम्मेलन करने के कांग्रेस के फैसले के तहत नागपुर में यह बात कही। अनुमा आचार्य ने दावा किया कि मौजूदा विधेयक संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की जनगणना और परिसीमन के बाद लागू होगा, जिसका अर्थ है कि इसे प्रभावी रूप से 10 से 12 वर्षों के लिए स्थगित कर दिया गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता अनुमा आचार्य ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि यह विधेयक राजनीतिक तौर पर भाजपा के लिए मुफीद है और उन्हें सुर्खियां दिलाता है। लेकिन विधेयक लागू करना उनकी मनुवादी (मनुस्मृति की सामग्री पर आधारित विचार प्रक्रिया) विचारधारा से मेल नहीं खाता है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि सज्जन पुरुष महिलाओं की समानता का सम्मान करते हैं और इसके लिए उन्होंने कई पहल भी की हैं। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि 1989 में कांग्रेस पंचायतों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण पर एक विधेयक लेकर आई थी, जो लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन भाजपा ने उच्च सदन में इसे रोक दिया।

आचार्य ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा लाया गया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका, और 2014 में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के साथ इसे पारित करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन राजग सरकार ने इसे पारित करने केलिए कुछ नहीं किया।

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