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Sanatana Dharma row: कर्नाटक के गृह मंत्री ने हिंदू धर्म की उत्पत्ति पर उठाए सवाल, भाजपा का पलटवार

Sanatana Dharma row: कर्नाटक के गृह मंत्री ने हिंदू धर्म की उत्पत्ति पर उठाए सवाल, भाजपा का पलटवार

कांग्रेस नेता और कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मंगलवार को हिंदू धर्म पर एक विवादास्पद बयान दिया और इस धर्म की उत्पत्ति पर सवाल उठाया। तुमकुरु में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई नहीं जानता कि देश में हिंदू धर्म की उत्पत्ति कब और कैसे हुई। परमेश्वर ने अपने बयान में कहा, “सवाल यह है कि हिंदू धर्म का जन्म कब हुआ, इसे किसने बनाया?.. दुनिया के इतिहास में कई धर्म पैदा हुए हैं। जैन और बौद्ध धर्म का जन्म यहीं हुआ। हिंदू धर्म का जन्म कब हुआ और इसकी शुरुआत किसने की, यह अभी भी एक सवाल है।” दरअसल, राज्य के गृह मंत्री की टिप्पणी तब आई जब वह कोराटागेरे के मारुति कल्याण मंडपम में शिक्षक दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

अपने बयान में कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि हमारे देश में बौद्ध धर्म और जैन धर्म की उत्पत्ति का इतिहास है…इस्लाम और ईसाई धर्म विदेश से हमारे देश में आए। दुनिया के सभी धर्मों का सारांश एक मानव जाति के लिए अच्छा होना है। इससे पहले सनातन धर्म पर द्रमुक नेता उदयनिधि की टिप्पणी ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया था और कई भाजपा नेताओं और हिंदू पुजारियों ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की। इसकी बीच जी परमेश्वर का यह बयान आया है। इससे पहले कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने कहा, “कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है या यह सुनिश्चित नहीं करता है कि आपको इंसान होने का सम्मान मिले, वह मेरे अनुसार धर्म नहीं है… कोई भी धर्म जो समान अधिकार नहीं देता है या आपके साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता है वह बीमारी के समान है।”

भाजपा का पलटवार
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर पर कर्नाटक के भाजपा विधायक और पूर्व राज्य मंत्री सीएन अश्वथ नारायण ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि वे वामपंथियों के प्रभाव में हैं और हमारे देश ‘भारत’ की संस्कृति और परंपरा को नष्ट करना चाहते हैं… उन्हें (जी परमेश्वर को) यह एहसास होना चाहिए कि इस तरह का अहंकार उनके लिए अच्छा नहीं है। वह एक विद्वान व्यक्ति हैं। यदि उनमें कोई साहस, स्पष्टता है तो उन्हें अन्य धर्मों के बारे में बोलने दें। वह हमारे धर्म का अपमान न करे। यदि वह खुश नहीं है तो उसे यह धर्म छोड़ देना चाहिए और कहीं और रहना चाहिए जो उसे रोक रहा है।

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