Chandrayaan 3: हिन्दुस्तान को चांद पर पहुंचाने वाले वैज्ञानिकों के मिलें, भारत का सपना साकार करने के लिए किया 1752 घंटों तक दिन-रात काम
Chandrayaan 3: हिन्दुस्तान को चांद पर पहुंचाने वाले वैज्ञानिकों के मिलें, भारत का सपना साकार करने के लिए किया 1752 घंटों तक दिन-रात काम


वैसे तो अब तक 12 लोग चांद पर कदम रख चुके हैं। पिछली असफलता को पीछे छोड़ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चांद को मुट्ठी में करने की ओर पहल को तैयार है। 24 घंटे की कड़ी उड़ान रिहर्सल के बाद भारत ने 14 जुलाई को चंद्रमा पर चंद्रयान श्रृंखला का अपना तीसरा मिशन लॉन्च किया। अब इसके अपने अंजाम तक पहुंचने की घड़ी आ गई है। चंद्रयान 3 23 अगस्त को चंद्र सतह पर अपनी नरम लैंडिंग के लिए निर्धारित है। योजना के मुताबिक, यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। ऐसे में आइए आपको भारत के ऐतिहासिक मून मिशन के पीछे के लोगों से मिलवाते हैं।
एस सोमनाथ ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) और इसरो के लिए रॉकेट प्रौद्योगिकियों के विकास के प्राथमिक केंद्र के निदेशक के रूप में कार्य किया। पिछले साल जनवरी में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की कमान संभालने वाले एस सोमनाथ को भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रमा मिशन के पीछे प्रमुख व्यक्तियों में से एक माना जाता है।
पी वीरमुथुवेल (परियोजना निदेशक, चंद्रयान-3)
पी वीरमुथुवेल पहले स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम ऑफिस में उप निदेशक के रूप में काम करते थे। उन्होंने चंद्रयान-2 मिशन में भी अहम भूमिका निभाई थी।
एस उन्नीकृष्णन नायर (निदेशक, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र)
लॉन्च व्हीकल मार्क-III को वीएसएससी द्वारा विकसित किया गया था। वीएसएससी के प्रमुख होने के नाते, एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न प्रमुख कार्यों के प्रभारी हैं।
एम शंकरन (यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक)
एम शंकरन ने जून, 2021 में यूआरएससी में निदेशक की भूमिका संभाली। यह केंद्र इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों के निर्माण और निर्माण के लिए जिम्मेदार है।शंकरन उस टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और यहां तक कि अन्य ग्रहों की खोज में देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपग्रह बनाती है।
