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फ्रांस: पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किशोर को दफनाया गया, 1300 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

फ्रांस: पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किशोर को दफनाया गया, 1300 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

फ्रांस में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किशोर को शनिवार को दफना दिया गया। घटना के बाद भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद चौथी रात को व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए और इस दौरान देशभर में 1,311 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के मद्देनजर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने जर्मनी का दौरा रद्द कर दिया है। फ्रांस के गृह मंत्रालय ने बताया कि हिंसा रोकने के लिए देशभर में 45,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। मंगलवार रात को प्रदर्शन की शुरुआत के बाद से पुलिस ने कुल 2,400 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से आधी से ज्यादा गिरफ्तारियां हिंसा की चौथी रात को हुईं। राष्ट्रपति मैक्रों ने शांति की अपील करते हुए अभिभावकों से अपने बच्चों को घरों पर ही रखने की अपील की। बावजूद इसके, विभिन्न शहरों में प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों और इमारतों में आग लगा दी तथा दुकानों में लूटपाट की।

अधिकारियों के मुताबिक, युवा प्रदर्शनकारियों की पुलिस से रातभर भिड़ंत हुई। उन्होंने बताया कि विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने करीब 2,500 दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की। फ्रांस में हिंसा का असर मैक्रों की जर्मनी यात्रा पर पड़ा है। जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर के कार्यालय ने बताया कि मैक्रों ने शनिवार को फोन करके जर्मनी की अपनी पहली राजकीय यात्रा को स्थगित करने का अनुरोध किया। मैक्रों रविवार शाम को जर्मनी रवाना होने वाले थे। पिछले 23 वर्षों में फ्रांस के किसी राष्ट्रपति की यह जर्मनी की पहली राजकीय यात्रा होती। मैक्रों के कार्यालय ने बताया कि राष्ट्रपति ने स्टीनमीयर से बात की और ‘‘देश में सुरक्षा स्थिति को देखते हुए कहा कि वह आने वाले दिनों में फ्रांस में रहना चाहते हैं।’’ इस बीच, नैनटेरे के उपनगर में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किशोर नाहेल को अंतिम विदाई दी गई। कब्रिस्तान में ताबूत लाए जाने के दौरान बड़ी संख्या में लोग सड़कों के किनारे खड़े थे।

पेरिस से मार्सिले और ल्योन तक हिंसा की आग फैल गई है, जिसमें सैकड़ों पुलिसकर्मी और दमकलकर्मी घायल हुए हैं। इससे पूर्व, नाहेल की मां मौनिया एम ने ‘फ्रांस 5’ टेलीविजन से कहा कि वह उस पुलिस अधिकारी से बहुत अधिक क्रोधित हैं, जिसने उनके बच्चे को मार डाला। उन्होंने कहा, ‘‘वह कुछ-कुछ अरबी बच्चों की तरह दिखता था। वह (अधिकारी) उसकी (नाहेल की) जान लेना चाहता था।’’ किशोर के परिवार की विरासत अल्जीरिया से जुड़ी है। मौनिया ने कहा, ‘‘एक पुलिस अधिकारी अपनी बंदूक लेकर हमारे बच्चों पर गोली नहीं चला सकता, वह हमारे बच्चों की जान नहीं ले सकता।’’ गौरतलब है कि मंगलवार को यातायात जांच के दौरान 17 वर्षीय नाहेल की हत्या का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में दो अधिकारी कार की खिड़की के पास खड़े दिख रहे हैं, जिनमें से एक ने चालक पर बंदूक तान रखी है। जैसे ही किशोर आगे बढ़ता है, अधिकारी ने गोली चला दी। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है और लोग काफी आक्रोशित हैं।

नाहेल की मौत के बाद पेरिस उपनगर में गुस्सा फूट पड़ा और तेजी से पूरे देश में हिंसा भड़क गई। व्यापक हिंसा के बावजूद मैक्रों ने आपात स्थिति की घोषणा नहीं की है। वर्ष 2005 में इसी तरह की परिस्थितियों में इस विकल्प का इस्तेमाल किया गया था। इसके बजाय, सरकार छुट्टी पर गए अधिकारियों को बुलाने के साथ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर जोर दे रही है। इस बीच, फ्रांस की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्टार किलियन एम बापे भी शामिल हैं, ने हिंसा को समाप्त करने का अनुरोध किया। खिलाड़ियों ने एक बयान में कहा, ‘‘हिंसा से कुछ समाधान नहीं निकलेगा। अभिव्यक्ति के अन्य शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके हैं।’’ फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डरमेनिन ने शुक्रवार को देशभर में सभी सरकारी बसों और ट्राम को रात के समय बंद करने का आदेश दिया।

ये वाहन दंगाइयों के निशाने पर रहे हैं। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे अपनी वेबसाइट को हिंसा के आह्वान के माध्यम के रूप में इस्तेमाल न होने दें। डरमेनिन ने कहा कि फ्रांसीसी अधिकारी हिंसा भड़काने वाले लोगों की पहचान करने में सोशल मीडिया कंपनियों की मदद ले रहे हैं। नाहेल की हत्या के आरोपी पुलिस अधिकारी पर इरादतन हत्या का प्रारंभिक आरोप लगाया गया है। प्रारंभिक आरोपों का मतलब है कि जांच करने वाले मजिस्ट्रेट को गलत कृत्य का गहरा संदेह है, लेकिन किसी मामले को सुनवाई के लिए भेजने से पहले उन्हें और अधिक जांच करने की आवश्यकता है। नैनटेरे के अभियोजक पास्कल प्राचे ने कहा कि उनकी प्रारंभिक जांच से वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि आरोपी अधिकारी द्वारा अपने हथियार का इस्तेमाल कानूनी रूप से उचित नहीं था।

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