3 years of Galwan Clash: कर्नल को हाथ लगाया तो चीन के सैनिकों की तोड़ दी गई हड्डियां, गलवान में भारतीय सेना के प्रतिशोध की वीर रस से भरी कहानी
3 years of Galwan Clash: कर्नल को हाथ लगाया तो चीन के सैनिकों की तोड़ दी गई हड्डियां, गलवान में भारतीय सेना के प्रतिशोध की वीर रस से भरी कहानी



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3 years of Galwan Clash: कर्नल को हाथ लगाया तो चीन के सैनिकों की तोड़ दी गई हड्डियां, गलवान में भारतीय सेना के प्रतिशोध की वीर रस से भरी कहानी
“छूटत कमान बान बंदूकरु कोकबान मुसकिल होत मुरचारनहू की ओट में।
ताही समै सिवराज हुकुम कै हल्ला कियो दावा बाँधि द्वेषिन पै बीरन लै जोट में।”
गलवान संघर्ष की तीसरी वर्षगांठ पर चीन से सटे क्षेत्र में रणनीतियों और तत्परता के बारे में चर्चा करने के लिए कई हाई रैकिंग मिलिट्री अफसर लेह में एकट्ठा होने वाले हैं। ठीक तीन बरस पहले आज ही के दिन यानी 15 जून की रात भारत के बहादुर जवानों ने न सिर्फ पूरी ताकत के साथ प्रतिशोध लिया था। बल्कि चीन के 40 50 जवानों को मारकर और चीन की सेना के कर्नल को अपने कब्जे में लेकर चीन के घमंड को चूर चूर कर दिया था हमारे देश में बहुत सारे लोगों के कान यह सुनने के लिए तरस रहे हैं कि चीन के सैनिक हमारी सीमाओं में घुस आए हैं। उनके काम यह सुनने के लिए तरस रहे हैं कि हम यह मान ले कि भारतीय सीमा में घुसपैठ हो चुकी है और हम चीन के सैनिकों को बाहर खदेड़ने में नाकामयाब हैं।
भारत के सैनिकों का रौद्र रूप देखकर घबरा गई चीनी सेना
15 जून की रात जब पूरा देश और आप सब गहरी नींद में सो रहे थे तो भारतीय सेना की 16 बिहार रेजिमेंट के जवान बलवान घाटी में चीन को आधुनिक युद्ध इतिहास का सबसे कड़ा सबक सिखा रहे थे। यह युद्ध तीन हिस्सों में लड़ा गया था, जिसमें भारत के सैनिकों का सामना चीन के नए सैनिकों से हुआ। जिन्हें इससे पहले इस इलाके में कभी नहीं देखा गया था। चीन को सबक सिखाने वाले जवानों में 3 मीडियम रेजीमेंट और तीन पंजाब रेजीमेंट के जवान भी शामिल थे। भारत के सैनिकों ने चीन के सैनिकों के गर्दन और उनकी रीढ़ की हड्डियां तोड़ दी थी। यह जवान अपने कमांडिंग ऑफिसर करनल संतोष बाबू की शहादत का बदला ले रहे थे और भारत के सैनिकों का रौद्र रूप देखकर चीन की सेना बुरी तरह घबरा गई थी।
कर्नल की शहादत पर चीन के सैनिकों को सबसे बड़ा सबक
कर्नल संतोष बाबू ने जब चीन के सैनिकों से पूछा कि जब पोस्ट को हटाने की बातचीत हो गई थी तो चीन के सैनिकों ने फिर से ये पोस्ट क्यों बना दिया। इसी पर चीन के नए सैनिक उग्र हो गए। उनमें से एक चीन के सैनिक ने आगे आकर कर्नल संतोष बाबू को धक्का दे दिया। अपने कमांडिंग ऑफिसर के साथ धक्का-मुक्की भारतीय जवानों के लिए बर्दाश्त से बाहर थी। जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने अपने ऑफिसर के अपमान का बदला लिया। सीओ के साथ बदतमीजी पर उन्होंने वहीं पर चीन के सैनिकों की पिटाई कर दी। चीन के सैनिकों को अंदाजा भी नहीं था कि भारतीय जवानों के मजबूत हाथ जब उन पर पड़ेंगे तो उनका क्या हश्र होगा। कमांडिंग ऑफिसर के साथ हुई बदतमीजी पर जवानों का खून खौल गया।
दोनों तरफ से कई जवानों ने गंवाई जान
भारत के सैनिकों ने वहां पर मौजूद चीन की पोस्ट को नष्ट कर दिया। इस लड़ाई में भारत और चीन दोनों के कुछ सैनिक घायल हुए। चीन के कई सैनिक वहां से भाग खड़े हुए। इसके बाद चीन के सैनिक घात लगाकर ज्यादा संख्या में आते हैं। 15 जून की रात करीब 9 बजे तक चली लड़ाई में कर्नल संतोष बाबू शहीद हो गए। जब ये खबर भारतीय सैनिकों को मिली तो उनके गुस्से की कोई सीमा नही थी। कर्नल संतोष बाबू की शहादत की खबर के बाद न सिर्फ 16 बिहार रेजीमेंट बल्कि आसपास के इलाके में तैनात दूसरी टुकड़ियां भी टकराव की जगह पर पहुंच गई। बहुत ही जल्द वहां पर 400-500 सैनिक एकट्ठा हो गए और फिर चीन के सैनिकों के साथ वो हिंसक टकराव हुआ जिसमें हमारे 20 सैनिक शहीद हुए और चीन के 40-50 सैनिक मारे गए। इसी लड़ाई में दोनों देशों के कई सैनिक लड़ते लड़ते गलवान नदी में जा गिरे।
द्विपक्षीय संबंधों में काफी तनाव आ गया
चीन को इस बात का अहसास बहुत शिद्दत के साथ हो चुका है कि भारतीय जवानों के साथ उनके ऑफिसर्स को हाथ लगाने और उनके अपमान पर हिन्दुस्तान के सैनिक जवाब कैसा देते हैं। बहरहाल, गलवान घाटी में 15 जून 2020 को दोनों सेनाओँ के बीच हुआ संघर्ष पिछले पांच दशक में एलएसी पर इस तरह का पहला संघर्ष था। इससे द्विपक्षीय संबंधओं में काफी तनाव आ गया था। भारत और चीन की सेनाएं सीमा पर इस तनाव को कम करने के लिए बातचीत भी कर रही है। दोनों पक्षों के बीच टकराव वाले कुछ बिंदुओं पर गतिरोध की स्थिति है। वहीं कुछ बिंदुओं से सैनिकों की वापसी हो गई है।
