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Adolf Hitler Birthday: क्या हिटलर ने हिन्दुओं के स्वास्तिक को बनाया था अपनी नाजी पार्टी का चिन्ह, किस्मत लाने वाला निशान माना जाता था

Adolf Hitler Birthday: क्या हिटलर ने हिन्दुओं के स्वास्तिक को बनाया था अपनी नाजी पार्टी का चिन्ह, किस्मत लाने वाला निशान माना जाता था

हर तानाशाह के बारे में ये जानने के प्रयास जरूर हुए कि आखिर वो अपने देश में लोकप्रियता के शिखर पर कैसे पहुंचा। ये उन तानाशाहों के बारे में और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है जो सैन्य ताकतों के दम पर सत्ता में नहीं पहुंचते हैं। एक ऐसा ही तानाशाह जो लोकतांत्रिक तरीके से ही सत्ता तक पहुंचा और अंतिम समय तक भी उसके देश में उसके खिलाफ बगावत नहीं हो सकी। जब भी दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाहों का जिक्र होता है तो सबसे पहले जर्मनी के पूर्व तानाशाह एडोल्फ हिटलर का नाम जेहन में आता है। इसके साथ ही दिमाग में एक सवाल भी कौंधता है कि हिटलर जैसी शख्शियत का मालिक यूरोप के एक शिक्षित देश जर्मनी का हुक्मरान और लाखों दिलों का चहेता कैसे बन गया?

फ्रांस में कई लड़ाईयां लड़ीं

एक मामूली इंसान जो दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह बन गया और लाखों लोगों का कत्ल करवा दिया। वो दुनिया के नक्शे से यहूदियों के नामोनिशान मिटा देने का सोना देखता था। उसकी सनक की वजह से पूरी दुनिया दूसरे विश्वयुद्ध की आग में जल उठी। एडोल्फ हिटलर का जन्म आज ही के दिन यानी 20 अप्रैल को ऑस्ट्रिया के वॉन में साल 1889 में हुआ था। पिता की मौत के बाद एडोल्फ हिटलर ने 17 साल की उम्र में ऑस्ट्रिया को छोड़ वियना की ओर रुख किया। हिटलर को आर्ट स्कूल में दाखिला नहीं मिला तो वो पोस्टकार्डो पर तस्वीरें बनाकर गुजर बसर करने लगा। 1914 में जब पहला विश्व युद्ध हुआ म्यूनिख में रह रहे हिटलर ने सेना में भर्ती होकर फ्रांस में कई लड़ाईयां लड़ी। एक लड़ाई के दौरान घायल होने पर हिटलर को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। फिर जब 1918 पहला विश्व युद्ध खत्म हुआ तो हिटलर को जर्मनी की हार का बेहद दुख हुआ।

स्वास्तिक को अपनी पार्टी का निशान बनाया?

साल 1918 में हिटलर ने नाजी पार्टी बनाई, जिसके सदस्यों में देशप्रेम कूट कूट कर भरा गया था। उसने स्वास्तिक जैसे निशान को अपनी पार्टी का चिन्ह बनाया। जिसे हिंदू धर्म के लोग शुभ प्रतीक मानते हैं। इसे हकेनक्रुएज कहा गया था। ये लाल बैकग्राउंड पर सफेद गोले के भीतर एक काला चिन्ह है। जर्मनी में हकेनक्रेज के अलावा हुक्रड क्रॉस भी कहते हैं। ये स्वास्तिक से मिलता जुलता है। ये चिन्ह दाहिनी तरफ से 45 डिग्री पर रोटेट किया हुआ है और इसमें स्वास्तिक में लगने वाले चार बिंदु भी नहीं हैं। हिटलर ने पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया। जर्मनी के आर्थिक हालात काफी खराब हो चुके थे। ऐसे में जब नाजी पार्टी के नेता हिटलर ने अपने भाषणों में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का भाषण दिया और बड़े-बड़े वादे किए। जर्मनी के लोग उसकी पार्टी की तरफ आकर्षित होने लगे। हिटलर ने जर्मनी के लोगों को सुखी जीवन का सपना दिखाया। 1922 तक जर्मनी में हिटलर की शोहरत काफी बढ़ चुकी थी।

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर को लगने लगा कि अब वो नहीं जीत पाएगा, उसकी हार तय हो गई तो उसने पत्नी इवा ब्राउन के साथ खुद को बर्लिन में मौजूद खुफिया बंकर के एक कमरे में बंद कर लिया। सोवियत सेनाओं के पकड़ में आने से पहले ही उसने खुद को बंकर में बंद कर लिया और पकड़े जाने के डर से आत्महत्या कर ली थी।

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