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First Republic Bank को बचाने के लिए अमेरिका ने अपनाया भारत के Yes Bank जैसा प्लान! 11 बैंकों ने ऐसे टाला संकट

First Republic Bank को बचाने के लिए अमेरिका ने अपनाया भारत के Yes Bank जैसा प्लान! 11 बैंकों ने ऐसे टाला संकट

अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में एक बार फिर हलचल मच गई है। वजह है फाइनेंसियल क्राइसेस मतलब वित्तीय संकट। बीते एक हफ्ते के भीतर अमेरिका के दो बड़े बैंकों पर ताला लग चुका है। पहले तो अमेरिका का सिलिकॉन वैली बैंक बंद हुआ, उसके बाद अब सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लग गया है। अमेरिका के एक और बैंक पर आया संकट फिलहाल टल गया है। अमेरिका के ‘फर्स्ट रिपब्लिक बैंक’ को 11 बैंकों ने डूबने से बचाया है। अमेरिकी बैंकों ने फर्स्ट रिपब्लिक बैंक का समर्थन करने के लिए 30 अरब डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा की है। फर्स्ट रिपब्लिक, एक कैलिफोर्निया ऋणदाता, जेपी मॉर्गन चेस, बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप और वेल्स फारगो से $ 5 बिलियन जमा करेगा, जबकि गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टेनली प्रत्येक $ 2.5 बिलियन जमा करेंगे। बीएनवाई मेलन, पीएनसी बैंक, स्टेट स्ट्रीट, ट्रुइस्ट और यूएस बैंक प्रत्येक $1 बिलियन जमा करेंगे।

बैंकिंग प्रणाली में भरोसा लौटाने की कोशिश

16 मार्च को अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों ने देश की बैंकिंग प्रणाली में विश्वास व्यक्त किया और वित्तीय ताकत और मौद्रिक तरलता को कायम रखने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की है, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इस बात पर अनिश्चितता बनी हुई है कि उठाए गए कदम से फर्स्ट रिपब्लिक और समग्र बैंकिंग उद्योग में विश्वास फिर से स्थापित होगा या नहीं। गुरुवार की रिकवरी के बावजूद, बाजार के बाद के कारोबार में फर्स्ट रिपब्लिक के शेयरों में 20 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। एसवीबी के पतन के बाद अमेरिकी बैंकों ने फेडरल रिजर्व से मदद मांगी। फेड ने सहायता प्रदान की, 15 मार्च को समाप्त सप्ताह में अपनी छूट खिड़की और आपातकालीन सुविधा के माध्यम से $160 बिलियन का ऋण दिया, जो बैंकिंग उद्योग में व्यापक समस्याओं का संकेत देता है।

भारत के यस बैंक का क्या था मामला

अमेरिकी बैंकों के इस कदम में भारतीय फ़ॉर्मूले की झलक दिखती है। ज्ञात हो कि यस बैंक संकट के दौरान देश में बड़े बैंकों ने कुछ इसी तरह के कदम उठाए थे। संकट से जूझते यस बैंक को बचाने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बनी रेस्क्यू स्कीम में शामिल होने वाले बैंकों ने यस बैंक में बड़ा निवेश किया था। इनमें एसबीआई की तरफ से 6050 करोड़, आईसीआईसीआई बैंक ने 1000 करोड़, एक्सिस बैंक ने 600 करोड़ और कोटक महिंद्रा बैंक ने 500 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

बैंक नियामक का क्या है कहा

बैंकों ने संयुक्त बयान में कहा कि अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों ने जो कदम उठाए हैं वे देश की बैंकिग प्रणाली में उनके भरोसे को दर्शाता है। हम अपनी वित्तीय ताकत और नकदी को बड़ी प्रणाली में डाल रहे हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। फर्स्ट रिपब्लिक के शेयर 36 प्रतिशत तक गिर गए थे लेकिन राहत पैकेज की खबरें आने पर इनमें तेजी आई। देश के बैंकिग नियामकों ने बयान जारी करके इस राहत पैकेज की सराहना की। बैंकों के इस कदम के बाद वित्त मंत्री जेनेट येलेन, मुद्रा के कार्यवाहक नियंत्रक माइकल हसू, फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल और एफडीआईसी के अध्यक्ष मार्टिन ग्रुऐनबर्ग ने एक बयान में कहा कि बड़े बैंकों के समूह ने जो समर्थन दिखाया है वह स्वागत योग्य है और यह बैंकिंग प्रणाली के जुझारूपन को दिखाता है।

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