शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बावजूद इक्विटी म्यूचुअल फंड में जनवरी में 12,546 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इसका प्रमुख कारण नियमित अंतराल पर किये जाने वाले निवेश यानी एसआईपी के प्रति लोगों का आकर्षण है। शुद्ध रूप से यह निवेश चार महीने में सर्वाधिक है। इससे पहले, दिसंबर में 7,303 करोड़ रुपये, नवंबर में 2,258 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 9,390 करोड़ रुपये इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगाये गये थे। वहीं सितंबर में 14,100 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ था। म्यूचुअल फंड इकाइयों के शीर्ष निकाय एसोसएिशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार यह लगातार 23वां महीना है, जब इक्विटी शेयर से जुड़ी म्यूचुअल फंड योजनाओं में पूंजी प्रवाह हुआ है। ‘ट्रेडिंग’ और निवेश मंच फायर्स के शोध प्रमुख गोपाल कावालीरेड्डी ने कहा, ‘‘शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद निवेशकों का इक्विटी म्यूचुअल फंड में भरोसा बना हुआ है। जनवरी में 12,546 करोड़ रुपये का प्रवाह इसका उदाहरण है।मासिक आधार पर यह 72 प्रतिशत अधिक है।’’ मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कारोबार अधिकारी अखिल चतुर्वेदी ने कहा कि जनवरी में इक्विटी म्यूचुअल फंड में जो मजबूत पूंजी प्रवाह हुआ है, उसका कारण एसआईपी के जरिये निवेश में तेजी है। इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगातार निवेश निवेशकों में बढ़ती समझदारी को बताता है। आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी से जुड़ी सभी योजनाओं में पूंजी निवेश किया गया। ‘स्मॉलकैप’ (छोटी कंपनियों में निवेश) योजनाएं सबसे पसंदीदा श्रेणी के रूप में उभरी हैं और इसमें 2,255 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। उसके बाद ‘मिडकैप’ (मझोली कंपनियों में निवेश) और बड़े तथा मझोली कंपनियों का स्थान रहा। दोनों में क्रमश: 1,962 करोड़ रुपये और 1,902 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। वहीं एसआईपी के जरिये जनवरी में पूंजी प्रवाह बढ़कर 13,856 करोड़ रुपये रहा जो दिसंबर में 13,573 करोड़ रुपये था। यह लगातार चौथा महीना है जब एसआईपी 13,000 करोड़ रुपये से ऊपर बना हुआ है।
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बावजूद इक्विटी म्यूचुअल फंड में जनवरी में 12,546 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इसका प्रमुख कारण नियमित अंतराल पर किये जाने वाले निवेश यानी एसआईपी के प्रति लोगों का आकर्षण है। शुद्ध रूप से यह निवेश चार महीने में सर्वाधिक है। इससे पहले, दिसंबर में 7,303 करोड़ रुपये, नवंबर में 2,258 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 9,390 करोड़ रुपये इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगाये गये थे। वहीं सितंबर में 14,100 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ था। म्यूचुअल फंड इकाइयों के शीर्ष निकाय एसोसएिशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार यह लगातार 23वां महीना है, जब इक्विटी शेयर से जुड़ी म्यूचुअल फंड योजनाओं में पूंजी प्रवाह हुआ है। ‘ट्रेडिंग’ और निवेश मंच फायर्स के शोध प्रमुख गोपाल कावालीरेड्डी ने कहा, ‘‘शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद निवेशकों का इक्विटी म्यूचुअल फंड में भरोसा बना हुआ है। जनवरी में 12,546 करोड़ रुपये का प्रवाह इसका उदाहरण है।मासिक आधार पर यह 72 प्रतिशत अधिक है।’’ मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कारोबार अधिकारी अखिल चतुर्वेदी ने कहा कि जनवरी में इक्विटी म्यूचुअल फंड में जो मजबूत पूंजी प्रवाह हुआ है, उसका कारण एसआईपी के जरिये निवेश में तेजी है। इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगातार निवेश निवेशकों में बढ़ती समझदारी को बताता है। आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी से जुड़ी सभी योजनाओं में पूंजी निवेश किया गया। ‘स्मॉलकैप’ (छोटी कंपनियों में निवेश) योजनाएं सबसे पसंदीदा श्रेणी के रूप में उभरी हैं और इसमें 2,255 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। उसके बाद ‘मिडकैप’ (मझोली कंपनियों में निवेश) और बड़े तथा मझोली कंपनियों का स्थान रहा। दोनों में क्रमश: 1,962 करोड़ रुपये और 1,902 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। वहीं एसआईपी के जरिये जनवरी में पूंजी प्रवाह बढ़कर 13,856 करोड़ रुपये रहा जो दिसंबर में 13,573 करोड़ रुपये था। यह लगातार चौथा महीना है जब एसआईपी 13,000 करोड़ रुपये से ऊपर बना हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार शाम मुंबई के मरोल में अलजामी-तुस-सैफियाह (सैफी अकादमी) के नए परिसर का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने अकादमी का दौरा किया। अल्जामिया-तुस-सैफिया दाऊदी बोहरा समुदाय का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है। सैफी अकादमी समुदाय की सीखने की परंपराओं और साक्षरता संस्कृति की रक्षा के लिए काम कर रही है।
किसी समुदाय, समाज या संगठन की पहचान इस बात से होती है कि समय के अनुसार उसने अपनी प्रासंगिकता को कितना कायम रखता है? समय के साथ परिवर्तन और विकास की इस कसौटी पर दाऊदी बोहरा समुदाय ने हमेशा खुद को साबित किया है। दाऊदी बोहरा समुदाय से मेरा नाता पुराना ही नहीं बल्कि किसी से छिपा भी नहीं है। अपनी एक यात्रा के दौरान, मैंने सैयदना साहब को 98 वर्ष की आयु में 800 सौ से अधिक छात्रों को पढ़ाते हुए देखा। वह घटना मुझे आज तक प्रेरित करती है। मैं देश ही नहीं, विदेश में भी कहीं जाता हूं, मेरे बोहरा भाई-बहन मुझसे जरूर मिलने आते हैं। वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों, किसी भी देश में क्यों न हों, उनके दिलों में भारत की चिंता और भारत के लिए प्रेम हमेशा दिखाई देता है।
बोहरा मुसलमान
बोहराओं ने अपना नाम गुजराती शब्द “वाहौरौ” से लिया है, जिसका अर्थ है “व्यापार करना”। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार “बोहराओं में शिया के अलावा, अक्सर व्यापारी वर्ग, सुन्नी अल्पसंख्यक शामिल होते हैं जो आमतौर पर किसान होते हैं। मुस्तली संप्रदाय जो मिस्र में उत्पन्न हुआ और बाद में यमन में अपना धार्मिक केंद्र स्थानांतरित कर दिया, 11 वीं शताब्दी के मिशनरियों के माध्यम से भारत में पैर जमा लिया। 1539 के बाद, जिस समय तक भारतीय समुदाय काफी बड़ा हो गया था, संप्रदाय की सीट यमन से सिद्धपुर (गुजरात का पाटन जिला), भारत में स्थानांतरित कर दी गई थी। सुन्नी बोहरा हनफी इस्लामिक लॉ का पालन करते हैं। हालांकि, शियाओं के दाऊदी बोहरा समुदाय से वो बहुत अलग नहीं हैं। सांस्कृतिक स्तर पर तो सुन्नी बोहरा और दाऊदी बोहरा समुदायों में काफी समानता है। पूरी दुनिया का दाऊदी बोहरा समुदाय अल-दाई अल-मुतलक को आध्यात्मिक गुरु मानता है। अल-दाई अल-मुतलक पहले यमन से अपना आध्यात्मिक आदेश देते थे, लेकिन अब बीते 450 वर्षों से उनका स्थान भारत हो गया है।