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पायलट 6 दिन दिल्ली में रहे पर नहीं हो पाई राहुल-प्रियंका से मुलाकात, गहलोत का नंबर गेम पड़ रहा भारी

पायलट 6 दिन दिल्ली में रहे पर नहीं हो पाई राहुल-प्रियंका से मुलाकात, गहलोत का नंबर गेम पड़ रहा भारी

पायलट 6 दिन दिल्ली में रहे पर नहीं हो पाई राहुल-प्रियंका से मुलाकात, गहलोत का नंबर गेम पड़ रहा भारी

राजस्थान कांग्रेस में चल रही सियासी बवाल के बीच के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट 6 दिन दिल्ली में रहने के बाद आखिरकार जयपुर लौट गए हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सचिन पायलट 6 दिन दिल्ली में रहे परंतु हाईकमान से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई। माना जा रहा था कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से सचिन पायलट की मुलाकात नहीं हुई। दावा यह भी किया जा रहा था कि प्रियंका गांधी के बुलाने पर ही सचिन पायलट दिल्ली पहुंचे थे। पायलट पिछले सप्ताह शुक्रवार शाम को ही दिल्ली पहुंच गए थे। पायलट भले ही दिल्ली में थे परंतु उनके समर्थक विधायक और अशोक गहलोत खेमे के विधायकों के बीच तीखी बयानबाजी का दौर लगातार जारी था।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सचिन पायलट 6 दिन दिल्ली में रहे परंतु आलाकमान से उनकी मुलाकात क्यों नहीं हो पाई? आलाकमान आखिर सचिन से मुलाकात को लेकर उत्सुकता क्यों नहीं दिखा रहा है? क्या आलाकमान को इस बात की फिक्र नहीं है कि अगर सचिन की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वह भी ज्योतिरादित्य सिंधिया या जितिन प्रसाद की तरह दूसरे पार्टी में जा सकते हैं? फिलहाल पूरे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट चुप हैं। समर्थक आमने-सामने है। सचिन पायलट के जयपुर जाते ही अब पूरा का पूरा हलचल राजधानी जयपुर शिफ्ट हो गया है।

सूत्र यह दावा कर रहे हैं कि गांधी परिवार से किसी ने भी अब तक सचिन पायलट से उस तरीके से संपर्क करने की कोशिश नहीं की है जैसा कि वह उम्मीद कर रहे थे। हां, अजय माकन ने जरूर कहा है कि सचिन नाराज नहीं है, सब कुछ ठीक हो जाएगा और वह कांग्रेस में ही रहेंगे। सचिन के दिल्ली दौरे के दौरान माना जा रहा था कि जिस तरह से पंजाब की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है वैसे ही राजस्थान में भी समस्याओं का समाधान कर लिया जाएगा। लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई जिसकी वजह से अब ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में सचिन गुट और गहलोत गुट आमने सामने रहेंगे और जमकर बयानबाजी होगी।

इस वजह से यह विवाद लंबा खींच भी सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर आलाकमान खुलकर सचिन पायलट या गहलोत को समझाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है? सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि गहलोत के पास भी अपने विधायकों की संख्या है। पायलट की तुलना में गहलोत समर्थक विधायकों की संख्या कई गुना ज्यादा है। यही कारण है कि आलाकमान फिलहाल गहलोत को निर्देश देने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नंबर गेम में बाजी मार रहे हैं और वह सचिन पायलट खेमे की मांगों को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे।

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