विदेशी बाजार में तेजी से अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव में सुधार
विदेशी बाजार में तेजी से अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव में सुधार

विदेशी बाजारों में तेजी के रुख से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को तिल तेल-तिलहन को छोड़ ज्यादातर तेल-तिलहन के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 6.50 प्रतिशत की भारी तेजी है।
विदेशी बाजारों में तेजी के रुख से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को तिल तेल-तिलहन को छोड़ ज्यादातर तेल-तिलहन के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 6.50 प्रतिशत की भारी तेजी है। वहीं शिकॉगो एक्सचेंज भी कल रात को चार प्रतिशत तेज था। फिलहाल इसमें दो प्रतिशत की तेजी है। सूत्रों ने कहा कि गुजरात में आगामी दिवाली त्योहार के चलते बिनौला और मूंगफली तेल की मांग बढ़ी है जिससे इनके भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। दूसरी ओर सरसों की छुटपुट मांग से सरसों तेल-तिलहन के भाव भी मामूली सुधार के साथ बंद हुए।
ADVERTISEMENT
Ads by
Sponsored LinksYou May Also Like
Online Jobs in Bulandshahr May Pay More Than You Think.
Online Jobs
by Taboola
बाजार सूत्रों ने कहा कि कुछ महीने पहले पहले सरकार द्वारा दो साल के लिए प्रत्येक वर्ष 20-20 लाख टन सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी तेल का शुल्क मुक्त आयात करने की छूट दिये जाने के बाद इन तेलों की आपूर्ति श्रृंखला टूट गई। वस्तुस्थिति यह है कि इन खाद्य तेलों की आयात की मासिक मांग लगभग दो से ढाई लाख टन की है और सरकार की साल में 20 लाख टन के शुल्कमुक्त आयात की छूट के हिसाब से महीने में केवल लगभग 1.65 लाख टन खाद्य तेल का ही आयात किया जा सकेगा। इससे देश को राजस्व की हानि तो हो ही रही है।
दूसरी ओर खुदरा बाजार में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की वजह से उपभोक्ताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं आने वाले मौसम (सर्दियों) में हल्के तेलों की मांग बढ़ेगी। वहीं शादी-विवाह के सीजन के चलते इन तेलों की मांग बनी रहेगी लेकिन इनपर 20 लाख तक की सीमित आयात से आपूर्ति में दिक्कत होगी। सूत्रों के मुताबिक, सरकार को खाद्य तेलों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखने के लिए सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी तेल के आयात की सीमा को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिये या पहले की तरह पांच प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये।
शुल्कमुक्त आयात के बाद ‘शार्ट सप्लाई’ (कम आपूर्ति) की वजह से इन तेलों के दाम प्रीमियम के साथ बिक रहे हैं। इस फैसले से आयात बढ़ने के बाद उपभोक्ताओं को भी सस्ते में खाद्य तेल उपलब्ध होगा। गौरतलब है कि सरकार की यह मंशा थी कि उपभोक्ताओं को तेल छह रुपये सस्ता मिले जबकि आयात सीमित होने से इसका विपरीत असर हुआ है। मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन – 6,595-6,625 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली -7,000-7,065 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,250 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,680-2,850 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,075-2,205 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,145-2,260 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,910 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,800 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,050 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,600 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना – 4,900-5,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।