कॉर्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन का 15 प्रतिशत वनों की कटाई की वजह से : रिपोर्ट
कॉर्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन का 15 प्रतिशत वनों की कटाई की वजह से : रिपोर्ट


नष्ट हुए प्राथमिक वर्षावनों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाई-ऑक्साइड की मात्रा 2021 में भारत के समग्र जीवाश्म ईंधन द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाई-ऑक्साइड के बराबर है। मंगलवार को एक नयी रिपोर्ट में इस बात के लिए भी चेताया गया है कि वनों की कटाई से हर साल यूनान देश के आकार के बराबर क्षेत्र के जंगल घट रहे हैं।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘वैश्विक कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 15 प्रतिशत वनों की कटाई की वजह से है। हर साल एक करोड़ हेक्टेयर उष्णकटिबंधीय जंगल खत्म जाते हैं और अगर हम इसे वर्ष 2030 तक नहीं रोकते हैं, तो ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के स्तर को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना असंभव होगा।’’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वनों की कटाई से अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मुक्त करते हुए दुनिया के जंगलों को संरक्षित करने में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उष्णकटिबंधीय वन देशों और निजी क्षेत्र के बीच मध्यस्थ का काम करने वाली एक गैर-लाभकारी संस्था एमर्जेंट के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एरोन ब्लूमगार्डन ने कहा, ‘‘तत्काल प्राथमिकता नये पेड़ों को लगाने की जरूरत से भी कहीं ज्यादा उष्णकटिबंधीय जंगलों की रक्षा करने की है क्योंकि दुनिया प्रतिवर्ष एक करोड़ हेक्टेयर की दर से उष्णकटिबंधीय जंगलों को खो देती है। यह क्षेत्रफल हर 15 मिनट में न्यूयॉर्क के लगभग एक सेंट्रल पार्क के बराबर होता है।
ब्लूमगार्डन ने कहा, ‘‘हमें दुनिया के जंगलों की सुरक्षा के लिए जलवायु वित्त में अरबों डॉलर के निवेश की जरूरत है। हम एलईएएफ गठबंधन और ग्रीन गिगाटन चैलेंज जैसी पहलों पर काम कर रहे हैं क्योंकि हमारा मानना है कि क्षेत्राधिकार-स्तर की कार्रवाई ऐसा करने का तरीका है।’’ एलईएएफ गठबंधन (वनवित्त में तेजी लाकर उत्सर्जन कम करना) अबतक की सबसे बड़ी सार्वजनिक निजी भागीदारी है जो उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई को रोकने के लिए समर्पित है।
इसने उष्णकटिबंधीय जंगलों की रक्षा के लिए अबतक एक अरब डॉलर से अधिक का वित्तपोषण किया है। डब्ल्यूईएफ ने कहा कि 2002 के बाद से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में छह करोड़ हेक्टेयर से अधिक प्राथमिक वन खो गए हैं, जो फ्रांस के आकार के क्षेत्र के बराबर है।
