मोहन भागवत की एबीवीपी कार्यकर्ताओं को नसीहत, RSS ने भारत के लिए बहुत त्याग किया, भगवान राम के आदर्शों का करें अनुकरण
मोहन भागवत की एबीवीपी कार्यकर्ताओं को नसीहत, RSS ने भारत के लिए बहुत त्याग किया, भगवान राम के आदर्शों का करें अनुकरण

तेलंगाना में अपने भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि तेलंगाना में छात्र संगठन हमेशा सबसे आगे रहे हैं। भागवत ने कहा ऐसे लोग हैं जो सोचते हैं कि वे ही सही हैं, और बाकी सभी गलत हैं। जब यह उनके खिलाफ जाता है, तो वे सच्चाई और न्याय को दबाने की पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन सच्चाई हिंसा से नहीं मरती।
RSS ने भारत के लिए बहुत त्याग किया है: मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ताओं ने बहुत त्याग किया है और उनके समर्पण के कारण ही हम एक संस्था की स्थापना करने में सक्षम हैं। मैं तेलंगाना के एबीवीपी कैडर के संपर्क में रहा हूं। मैंने देखा है कि आप सभी बाधाओं के बावजूद राज्य में जो लड़ाई लड़ रहे हैं। यहां इस भवन का उद्घाटन इस तथ्य को दर्शाता है कि अभी आंदोलन सकारात्मक ऊंचाई पर है। उन्होंने छात्र कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि अगर इस समय, जब आरएसएस की लोकप्रियता में उछाल देखा जा रहा है, अगर वे सावधान नहीं हैं, तो लोकप्रियता ही भविष्य में एक बाधा बन सकती है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए सफलता मंजिल नहीं बल्कि यात्रा है।”
भागवत की एबीवीपी कार्यकर्ताओं को नसीहत
स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि वे अपनी सफलता से संतुष्ट न हों बल्कि भगवान राम के आदर्शों का अनुकरण करें। भागवत ने यहां एबीवीपी की तेलंगाना इकाई के नये कार्यालय भवन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उद्घाटन के बाद शाम को यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए भागवत ने एबीवीपी के शीर्ष छात्र संगठन के रूप में उभरने के कठिन दौर को याद किया।
भगवान राम के आदर्शों का करें अनुकरण
उन्होंने कहा कि अन्य छात्र संगठनों के सदस्य पहले एबीवीपी कार्यकर्ताओं का मजाक उड़ाते थे कि संगठन ने देवी सरस्वती की पूजा करने और परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित करने के अलावा कुछ नहीं किया। संघ प्रमुख ने कहा कि अब यह कहने की किसी की हिम्मत नहीं है। भागवत ने कहा कि जो लोग एबीवीपी को महत्वहीन मानते थे, वे अब संगठन को शीर्ष पर पाते हैं और कड़ी मेहनत के कारण यह बदलाव संभव हुआ है।