सांप और इंसान साथ-साथ! इस गांव के हर घर में बनता है नागों के लिए एक बिल और डिनर, बच्चे भी खेलते हैं इनके साथ
सांप और इंसान साथ-साथ! इस गांव के हर घर में बनता है नागों के लिए एक बिल और डिनर, बच्चे भी खेलते हैं इनके साथ


A village where snakes and humans live together: भगवान विष्णु का शेषनाग हो या फिर शिवजी के गले में झूलता वासुकि, सांपों का हमारे धर्म में हमेशा पूजनीय स्थान रहा है. लेकिन इसका जहरीला होना इसके प्रति मन में भय भी बनाए रखता है. सांपों की हम पूजा तो करते हैं, पर उन्हें घर में नहीं बसाते. लेकिन भारत का एक गांव ऐसा है जहां सांप लोगों के फैमली मैंबर की तरह रहते हैं.
भारत एक अनोखा देश है जहां तरह-तरह के जंगली जानवरों के साथ-साथ अलग-अलग प्रजाति के सांप भी मौजूद हैं. सांप एक ऐसा जीव है, जिसे हमारे धर्म में पूजा भी गया है. जैसे भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम करते हैं, तो वहीं शिव शंकर ने अपने गले में नाग को धारण कर रखा है. दूसरी तरफ इसका बहुत जहरीला होना इसके प्रति मन में भय भी बनाए रखता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक गांव ऐसा भी है, जहां सांपों से बचने के लिए नहीं बल्कि उन्हें अपने घर में बुलाने के लिए तैयारी की जाती है?
हां, इस गांव के हर घर में बैडरूम, रसोई या घर के आंगन जैसी जरूरी चीजों के साथ ही नागों के निवास के लिए एक बिल भी बनाया जाता है. ये गांव दुनिया के किसी और कोने में नहीं बल्कि भारत में ही है.
ये गावं है महाराष्ट्र का शेतफल. महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में पड़ने वाला शेतफल गांव पुणे से 200 किलोमीटर दूर है. ये एक खुबसूरत गांव है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी विशेषता है, इसके बने घर. ये गावं सांप और मनुष्य के सहअस्तित्व की अनूठी और बहुत ही सुंदर गाथा कहता है.
नागपंचमी के दिन पूरे देश में नागों की पूजा की जाती है. पर शेतफल के लोग साल के एक दिन नहीं बल्कि पूरे साल इन नागों के साथ रहते हैं. दलचस्प बात ये है कि ये गांव, सापों को अपने परिवार की सदस्य की तरह मानता है. इसलिए ये सांप न सिर्फ घरों में बने इस बिल में रहते हैं, बल्कि वो घर में किसी भी हिस्से में घूमते आपको नजर आ जाएंगे. सांपों के लिए बनने वाली इस जगह को ‘देवस्थानम’ कहते हैं.
सांपों को परिवार का सदस्य माना है तो ध्यान भी रखना होगा और इसी सोच को देखते हुए यहां हर घर में इन सापों के भोजन की व्यवस्था भी की जाती है. सिर्फ घरों में ही नहीं, ये सांप इस गांव के किसी भी इलाके में असानी से घूमते नजर आ जाते हैं.
हम अपने घरों में बच्चों को एक कॉकरोच भी दिख जाए तो बेड पर चढ़ने के लिए कह देते हैं, लेकिन शेतफल की गलियों में आपको बच्चे इन सापों के साथ खेलते हुए नजर आ जाएंगे. सिर्फ घर में ही नहीं, बल्कि इस गांव में आप बच्चों को स्कूल में सांपों के साथ पढ़ता हुआ भी देख सकते हैं. अगर आप शेतफल जाना चाहते हों तो रेल से मोडनिम्ब और अष्टि रेलवे स्टेशन शेतफल गांव से सबसे करीब है. इसके अलावा सोलापुर जंक्शन यहां से करीब है. स्टेशन से आप कैब या बस से सांपों के गांव तक पहुंच सकते हैं. क्या आप घूमना चाहेंगे इस गांव में?
