व्रत त्योहार

दिवाली पर मिट्टी के दिए ही क्‍यों जलाए जाते हैं? इसके पीछे छिपा है बड़ा रहस्‍य!

दिवाली पर मिट्टी के दिए ही क्‍यों जलाए जाते हैं? इसके पीछे छिपा है बड़ा रहस्‍य!

भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्‍या लौटे तो नगरवासियों ने दीप जलाकर, रंगोली बनाकर प्रभु का स्‍वागत किया था. इस दिन पूरी अयोध्‍या नगरी दीपों के उजाले से जगमगा उठी थी. तब से ही कार्तिक माह की अमावस्‍या को दीपावली मनाई जाती है. दीपावली की रात हर घर में दीपक जलाए जाते हैं और खुशियां मनाई जाती हैं. धन की देवी मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है. लक्ष्‍मी माता के साथ भगवान गणेश और देवी सरस्‍वती की भी पूजा की जाती है. दिवाली के दिन दीपक प्रज्‍वलित किए जाते हैं लेकिन कभी यह सोचा है कि मिट्टी के ही दीपक क्‍यों जलाए जाते हैं.

मिट्टी के दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है. दीपावली के दिन तो मिट्टी के दिए ही जलाए जाते हैं. इसके पीछे कुछ खास कारण हैं.

– ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार मिट्टी के दिए जलाने के पीछे एक विशेष कारण है. ज्‍योतिष में मंगल ग्रह को मिट्टी और भूमि का कारक माना गया है. वहीं सरसों के तेल का संबंध शनि ग्रह है. ऐसे में मिट्टी और सरसों के तेल के दिए जलाने से मंगल और शनि ग्रह मजबूत होकर शुभ फल देते हैं. मंगल और शनि की कृपा से जीवन में खूब धन, दौलत, सुख, खुशहाल दांपत्‍य जीवन मिलता है.

शास्त्रों के अनुसार मिट्टी के दीपक जलाने से मानसिक और शारीरिक तनाव दूर होता है. माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

– मिट्टी का दीपक पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करता है. पंचतत्व में जल, वायु, अग्नि, आकाश व भूमि सम्मिलित हैं. मिट्टी के दीपक में ये सारी चीजें होती हैं. जैसे- मिट्टी और पानी को मिलाकर दीपक बनता है, दीपक जलाने पर अग्नि तत्‍व आ जाता है. बिना वायु के आग नहीं जल सकती है. इसी कारण हर शुभ मौके पर मिट्टी का दीपक जलाया जाता है.

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