व्रत त्योहार

Jaya Parvati Vrat 2023: जया पार्वती व्रत की आज से हो रही समाप्ति, इसे करने से मिलता है अखंड सौभाग्य का सुख

Jaya Parvati Vrat 2023: जया पार्वती व्रत की आज से हो रही समाप्ति, इसे करने से मिलता है अखंड सौभाग्य का सुख

Jaya Parvati Vrat 2023: जया पार्वती व्रत की आज से हो रही समाप्ति, इसे करने से मिलता है अखंड सौभाग्य का सुख
हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से जया-पार्वती व्रत की शुरूआत होती है। इसे विजया पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इस साल इस व्रत की शुरूआत 1 जुलाई 2023 से हुई थी। वहीं आज यानी की 6 जुलाई को जया पार्वती व्रत की समाप्ति हो रही है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर श्रावण मास के कृष्ण पक्ष तृतीया तक यह पर्व चलता है। यह व्रत पांच दिन तक रखा जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अखंड सौभाग्य और समृद्धि के लिए महिलाएं जया-पार्वती व्रत रखती हैं। इस व्रत को विधि-विधान से रखने और पूरी श्रद्धा भाव से भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें इस व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती सौभाग्यवती होने का वरदान देते हैं। जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु ने माता लक्ष्मी को इस व्रत का रहस्य बताया था। इस व्रत को 5 दिन तक रखने से कुंवारी कन्याओं को मनपसंद जीवन साथी मिलता है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

इतने साल तक किया जाता व्रत

जो भी महिलाएं और लड़कियां इस व्रत को करती हैं, उन्हें कम से कम 5, 7, 9, 11 या 20 साल तक करना होता है। इस व्रत के दौरान बालू व रेत का हाथी बनाकर उस पर 5 तरह के फल, फूल और भोग आदि चढ़ाया जाता है। व्रत के दौरान आप फलाहार जैसे फल, दूध, दही, जूस एवं दूध से निर्मित मिठाइयां खा सकती हैं। इस व्रत में बिना नमक का ज्वार से बना भोजन किया जाता है। इस व्रत में नमक नहीं खाया जाता है। इसके साथ ही गेंहू का आटा और किसी भी तरह की सब्जी आदि नहीं खानी चाहिए।

शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी की 1 जुलाई 2023 से इस व्रत की शुरूआत हुई थी। वहीं सावन की तृतीया तिथि 6 जुलाई 2023 को इस व्रत की समाप्ति होगी।

जया पार्वती व्रत का महत्व

बता दें कि मुख्य रूप से यह व्रत गुजरात में मनाया जाता है। कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर की कामना से यह व्रत करती हैं। इस व्रत को करने से महिलाओं के पति को दीर्घायु एवं सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है।

ऐसे किया जाता है व्रत

व्रत की शुरूआत में महिलाएं व कुंवारी कन्या रेत या बालू का हाथी बनाती हैं।

फिर उस पर 5 दिनों तक 5 तरह के फल, फूल और प्रसाद आदि अर्पित करती हैं।

इस दौरान मां पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है।

व्रत के पहले दिन एक छोटे पात्र में ज्वार/गेहूँ के दानों को बोया जाता है।

इस पात्र को मंदिर में रखा जाता है और 5 दिनों तक इसमें जल अर्पित किया जाता है।

वहीं व्रत के आखिरी दिन भजन-कीर्तन करते हुए मां पार्वती की आराधना की जाती है।

इसके बाद गेंहूं या ज्वार की बढ़ी हुई घास को पात्र से निकालकर नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।

फिर व्रत का पारण किया जाता है।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!