व्रत त्योहार

Som Pradosh Vrat 2023: सोम प्रदोष व्रत पर करें इस स्तोत्र का पाठ, दुख-दरिद्रता का होगा नाश

Som Pradosh Vrat 2023: सोम प्रदोष व्रत पर करें इस स्तोत्र का पाठ, दुख-दरिद्रता का होगा नाश

Som Pradosh Vrat 2023: सोम प्रदोष व्रत पर करें इस स्तोत्र का पाठ, दुख-दरिद्रता का होगा नाश

Som Pradosh Vrat 2023 ज्योतिषियों की मानें तो सावन सोमवारी का व्रत करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। इस दिन सोम प्रदोष व्रत भी है। अतः व्रत का दोगुना फल प्राप्त होगा। अगर आप भी शिव परिवार का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ करें।

2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, 28 अगस्त को सोम प्रदोष व्रत है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। सोमवार के दिन पड़ने के चलते यह सोम प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस दिन सावन महीने की आखिरी सोमवारी भी है। सावन सोमवार पर देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सावन सोमवारी का व्रत करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। इस दिन सोम प्रदोष व्रत भी है। अतः व्रत का दोगुना फल प्राप्त होगा। अगर आप भी शिव परिवार का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ करें-

शिव प्रदोष स्तोत्र
जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत ।

जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।

जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।

जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।

जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।

जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।

जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय ।

जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।

जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन ।

जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ।।

प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत:।

सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।

महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च ।

महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।

ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: ।

ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।

दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।

अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।

दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: ।

ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।

शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा: ।

नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद: ।।

दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले ।

सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।

एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।

ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।

सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी ।

शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ।।

जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत ।

जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।

जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।

डिसक्लेमर- ‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!