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क्या है 1976 की वो घटना, जब डोनाल्ड ट्रंप ने इस्कॉन भक्तों को न्यूयॉर्क में पहली जगन्नाथ रथ यात्रा आयोजित करने में की मदद

क्या है 1976 की वो घटना, जब डोनाल्ड ट्रंप ने इस्कॉन भक्तों को न्यूयॉर्क में पहली जगन्नाथ रथ यात्रा आयोजित करने में की मदद

जिनका रूप अति शांत मय है, जो शेषनाग की शैया पर शयन करते हैं। जिनकी भूमि से कमल निकलता है। जो गगन के समान हर जगह व्याप्त हैं। वो भय का नाश करते हैं। श्री हरि विष्णु समस्त जगत के आधार हैं। वैकुंठ लोक के स्वामी श्री हरि विष्णु धरती के कल्याण के लिए भारत वर्ष की भूमि पर वास करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बैकुंठ लोक धरती पर भी है। जिसे हम जगन्नाथपुरी के नाम से जानते हैं। आषाढ़ माह में गवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि ब्रह्मांड के भगवान महाप्रभु जगन्नाथ का पहला रथ जुलूस 1976 में संयुक्त राज्य अमेरिका में तत्कालीन 30 वर्षीय उभरते रियल एस्टेट मुग़ल डोनाल्ड ट्रम्प की सहायता से न्यू यॉर्क की सड़कों पर निकला था?

इस्कॉन ने बनाई न्यूयॉर्क शहर में पहली रथ यात्रा निकालने की योजना

लगभग 47 साल पहले की बात है। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) न्यूयॉर्क शहर में पहली रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रहा था, लेकिन इसमें चुनौतियां बहुत अधिक थीं। फिफ्थ एवेन्यू में परेड परमिट मिलना तो किसी चमत्कार से कम नहीं था। एक विशाल खाली जगह ढूंढना जहां रथों का निर्माण किया जा सके, ये तो कतई भी आसान नहीं रहने वाला था। हर संभव व्यक्ति के दरवाजे खटखटाए गए, लेकिन सभी जगह से निराश ही हाथ लगी। ये वो दौर था जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कृष्ण भक्तों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आए।

रविवार यानी 19 मार्च को ट्रंप के ट्विटर अकाउंट को बहाल होने के बाद इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने इस कहानी को साझा किया। कैसे ब्रह्मांड के भगवान महाप्रभु जगन्नाथ की पहली रथ यात्रा न्यूयॉर्क की सड़कों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में तत्कालीन 30 वर्षीय उभरते हुए रियल एस्टेट मुगल डोनाल्ड ट्रम्प की सहायता के साथ शुरू हुई। 1976 में इस्कॉन अपना 10वां जन्मदिन मनानेकी तैयारी में लगा था। न्यूयॉर्क में भक्त पहली बड़ी रथ यात्रा की योजना बना रहे थे। डिस्कवर हरे कृष्णा ने एक फेसबुक पोस्ट में उल्लेख किया करते हुए बताया कि हमें फिफ्थ एवेन्यू के उपयोग की अनुमति थी, जो वास्तव में एक बड़ी बात है। लेकिन विशाल लकड़ी की गाड़ियां बनाने के लिए हमें परेड मार्ग के करीब एक खाली जगह की जरूरत थी। हमने जिससे भी पूछा, हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। वे बीमा जोखिम आदि के बारे में चिंतित थे।

डोनाल्ड ट्रम्प की हाँ

चरम पर पहुंची भक्तों की मायूसी, उस वक्त बिखरने लगी जब लगभग सभी जगह से निराशा मिलने लगी। फिर एक फर्म मालिक जिनसे भी संपर्क किया गया उसने कथित तौर पर कहा कि वे पेंसिल्वेनिया रेल यार्ड में संपत्ति बेचने की प्रक्रिया में हैं। कुछ दिनों बाद किसी ने उन्हें बताया कि डोनाल्ड ट्रंप ने पुराने रेलवे यार्ड को खरीद लिया है। फिर, भक्त महाप्रसादम की एक बड़ी टोकरी और एक भेंट पैकेज लेकर उनके कार्यालय गए। उनके सचिव ने इसे ले लिया लेकिन भक्तों को चेतावनी दी, “वह इस तरह की बात के लिए कभी सहमत नहीं होते। आप पूछ सकते हैं लेकिन वह नहीं कहने जा रहे हैं। हमारे मन में ये था कि महाप्रभु में विश्वास रखो और चमत्कार होना ही था! तीन दिन बाद, ट्रम्प के सचिव ने भक्तों को यह कहते हुए बुलाया, “मुझे नहीं पता कि क्या हुआ लेकिन उन्होंने आपका पत्र पढ़ा, आपके द्वारा छोड़े गए महाप्रसादम में से थोड़ा सा लिया और तुरंत कहा हां, क्यों नहीं? सचिव ने तब कहा, “नीचे आओ और उसकी अनुमति का हस्ताक्षरित पत्र प्राप्त करो।” जी हां, ट्रंप ने खुले रेल यार्ड का इस्तेमाल रथ यात्रा गाड़ियां बनाने की इजाजत देने वाले कागजात पर दस्तखत किए थे।

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