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Navratri 2023 Ghatsthapana Muhurat: चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का पंचांग अनुसार शुभ मुहूर्त, यहां जानें

Navratri 2023 Ghatsthapana Muhurat: चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का पंचांग अनुसार शुभ मुहूर्त, यहां जानें

Navratri 2023 Ghatsthapana Muhurat: चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का पंचांग अनुसार शुभ मुहूर्त, यहां जानें

नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू हो रहा है. इस साल कलश स्थापना के लिए एक ही शुभ मुहूर्त है. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना मुहूर्त, विधि और नियम

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चैत्र नवरात्रि 2023

Chaitra Navratri 2023: 9 दिन तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि का पर्व 22 मार्च 2023 से शुरू हो रहा है. कहते हैं नौ दिन तक मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच निवास करती हैं. जो सच्चे मन से नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करता है उसकी सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना का विधान है. शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से विशेष फल प्राप्त होता है. इस साल कलश स्थापना के लिए एक ही शुभ मुहूर्त है. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना मुहूर्त, विधि और नियम.

चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि (Chaitra Navratri 2023 Tithi)

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि शुरू – 21 मार्च 2023, रात 10.52

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त – 22 मार्च 2023, रात 08.20

चैत्र नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त

22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 29 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तकर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. घटस्थापना के लिए साधक को 01.10 मिनट का समय मिलेगा. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करने से 9 दिन की पूजा पुण्य फलदायी होती है.

नवरात्रि में घटस्थापना का महत्व

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-उपासना से जातक को हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है. पुराणों में कलश या घट स्थापना को सुख-समृद्धि,वैभव,ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों, तीर्थों, त्रिदेव, नदियों, 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है. नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है.

चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना की विधि

घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त में एक मिट्‌टी के पात्र में खेत की पवित्र मिट्‌टी डालें और उसमें सात प्रकार के अनाज बो दें. एक मिट्टी के बर्तन में जौ भी बोएं.

ईशान कोण में गंगाजल छिड़कर साफ सफाई कर लें. पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और इस पर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें.

अब एक तांबे या मिट्‌टी के कलश पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं और उसमें गंगा जल या स्वच्छ जल भरकर इसमें सिक्का, अक्षत सुपारी, लौंग के जोड़ा, दूर्वा घास, डालें. कलश के मुख पर मौली बांधें और उसे ढक्कन से ढक दें.

एक नारियल पर लाल चुनरी को मौली से बांध दें. कलश में आम के 5 पत्ते लगाएं, कलश पर रखे ढक्कन को चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच ये नारियल रखे दें.

अब जौ वाले पात्र और कलश को मां दुर्गा की फोटो के दायीं ओर स्थापित कर दें. कलश स्थापना पूरी कर मां दुर्गा का आव्हान करें.

घटस्थापना मंत्र (Navratri Ghatsthapana Mantra)

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।

कलश पर नारियल रखने का मंत्र

ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः।।

सप्तधान (7 प्रकार के अनाज) बोने का मंत्र

ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।

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