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Income Tax On Farmers: भारत में किसानों पर क्यों नहीं लगता टैक्स, क्या अब कर लगाने की है आवश्यकता? जानें विशेषज्ञ की राय

Income Tax On Farmers: भारत में किसानों पर क्यों नहीं लगता टैक्स, क्या अब कर लगाने की है आवश्यकता? जानें विशेषज्ञ की राय

बहुत से लोगों को ये नहीं पता कि किसानों पर टैक्स के क्या नियम हैं। खेती से होने वाली इनकम पर कोई भी टैक्स नहीं लगता है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 10(1) के तहत खेती से होने वाली कमाई टैक्स फ्री होती है। लेकिन क्या आने वाले वक्त में टैक्स फ्री के दायरे से इन्हें बाहर लाया जाना चाहिए? ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है। उनका कहना है कि ऐसे दौर में भारत में ऐसे भी गांव हैं जिन्हें सबसे अमीर के रूप में वर्णित किया गया है तो भारतीय सरकारों द्वारा कृषि आय पर कर नहीं लगाना गलत होगा। न्यू इंडियन एक्सप्रेस में ‘भारत में किसानों की आय पर कर लगाने की आवश्यकता’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में देबरॉय ने कहा कि यह तय करना संबंधित राज्य सरकारों पर निर्भर होना चाहिए कि कृषि आय पर कर लगाया जाना चाहिए या नहीं। पद्मश्री से सम्मानित अर्थशास्त्री ने आगे कहा कि राज्यों द्वारा कृषि आय पर कराधान के लिए मिसाल है।

देबरॉय ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या किसान 1947 की तुलना में अब अधिक गरीब हैं? यह भी,एक आलंकारिक प्रश्न है। यदि ऐसा है, तो हमारे पास बिहार (1938), असम (1939), बंगाल (1944), उड़ीसा (1948), उत्तर प्रदेश (1948), हैदराबाद (1950), मद्रास और पुराना मैसूर राज्य (1955), त्रावणकोर और कोचीन (1951) में कृषि आयकर अधिनियम क्यों थे? ध्यान दें कि वर्तमान भौगोलिक संरचना में कई राज्य इन विधियों और उनके उत्तराधिकारियों को बनाए रखते हैं। कर्नाटक को छोड़कर, उन्होंने इन्हें निरस्त नहीं किया है। वे कुछ प्रकार की कृषि आय, विशेषकर वृक्षारोपण पर कर लगाते हैं।

उन्होंने कई सरकार द्वारा नियुक्त समितियों की भी सूची बनाई है, जिनमें कराधान जांच आयोग की रिपोर्ट (1953-54), कृषि संपत्ति और आय के कराधान पर राज समिति (1972), चौथी पंचवर्षीय योजना (1969- 74), पांचवें वित्त आयोग की रिपोर्ट (1969), कर सुधार समिति (1991), प्रत्यक्ष करों पर केलकर टास्क फोर्स (2002), काले धन पर श्वेत पत्र (2012) और कर प्रशासन सुधार आयोग (2014) कृषि आय पर कर लगाने की सिफारिश की गई। अंत में, देबरॉय सवाल उठाते हैं कि इस प्रस्ताव ने केवल 1970 के दशक से लोगों को क्यों नाराज किया। उनका कहना है कि 1960 के दशक तक इस बात पर सहमति थी कि किसानों की आय पर कर लगाने की जरूरत है। उनका कहना है कि इसका जवाब शायद उस राजनीतिक शक्ति में निहित है जिसे किसान अपने लिए जुटा पाए हैं।

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