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CAA पर जारी चर्चा के बीच West Bengal के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय का विवादित बयान, कहा- बाहर से आने वाले लोग हैं…

CAA पर जारी चर्चा के बीच West Bengal के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय का विवादित बयान, कहा- बाहर से आने वाले लोग हैं...

देश भर में इन दिनों नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर चर्चा जोरों पर है। ये कानून लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। इसी बीच त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल और भाजपा नेता तथागत रॉय ने भी सीएए को लेकर विवादित बयान दिया है, जिसपर हंगामा हो रहा है।

भाजपा नेता तथागत रॉय ने नए नागरिकता संधोशन कानून के अंतरगर्त मिलने वाली नागरिकता को लेकर विवादित बयान दे दिया है। इस बयान के बाद टीएमसी ने भी उनपर निशाना साधा है। तथागत रॉय ने पड़ोसी देशों से आने वाले शरणार्थियों की पहचान करने को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि खतना देखकर ही शरणार्थियों को आने दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को इस संबंध में नियम भी स्पष्ट करने चाहिए।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि टीएमसी पश्चिम बंगाल में सीएए को लेकर लगातार झूठी जानकारी दे रही है। लोगों के गुमराह होने की संभावना भी इससे लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जरुरी है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय जल्द ये स्पष्ट करे कि बांग्लादेश में इस्लामी अत्याचार के कारण जो हिंदू शरणार्थी भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता कैसे मिलेगी। इन शरणार्थियों की स्थिति और नागरिकता को लेकर भी उन्होंने सवाल किए है।

उन्होंने कहा कि नागरिकता का हकदार बनने के लिए शरणार्थियों को सुझाव दिए है। उन्होंने लिखा कि एक हिंदू, बौद्ध या ईसाई शरणार्थी नागरिकता पाने का अधिकारी हो सकती है। शरणार्थी पुरुषों का नागरिकता देने से पहले उनके धर्म का परीक्षण होना चाहिए, जो खतना या किसी अन्य विधि से हो सकता है। इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले जो पुरुष हिंदू पाए जाएं उनके साथ आने वाली महिलाओं को भी हिंदू ही माना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हिंदू, बौद्ध, ईसाई लोगों को नागरिकता मिलनी चाहिए। अगर इनके आवेदन खारिज हुए हैं तो भी उन्हें यहां रहने के अनुमति मिलनी चाहिए। उन्हें डिटेंशन कैंप ना भेजे जाने का फैसला भी किया जाना चाहिए। बता दें कि देश भर में केंद्र सरकार ने कुछ दिन पूर्व ही सीएए कानून को लागू किया है। इस कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। ये नियम हिन्दू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों पर लागू होगा।

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