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एलयू के इस डिपार्टमेंट में 7 बुजुर्गों ने लिया एडमिशन! किसी की बेटी ने भरी फीस तो कोई कर रहा बेटे से मुकाबला

एलयू के इस डिपार्टमेंट में 7 बुजुर्गों ने लिया एडमिशन! किसी की बेटी ने भरी फीस तो कोई कर रहा बेटे से मुकाबला

लखनऊ विश्वविद्यालय का माहौल इन दिनों बदला बदला सा नजर आ रहा है. कुछ वरिष्ठ नागरिक हाथों में किताब और कंधे पर बैग टांगे एक खास विभाग की तरफ जाते हुए दिख रहे हैं, यह विभाग है ज्योतिर्विज्ञान विभाग. खास बात यह है कि इन बुजुर्गों में किसी का दाखिला बच्चों ने कराया है तो किसी की बेटी ने फीस भरी है. यही नहीं कोई पिता ऐसा भी है जिसका अपने ही बच्चों से ही प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन रिजल्ट में फर्स्ट आएगा.

अनिरुद्ध प्रताप सिंह जो वर्तमान में शिक्षक हैं, उन्होंने बताया कि उन्होंने इस विभाग में दाखिला लेने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि इनको लगता है कि सभी विज्ञान में ज्योतिर्विज्ञान सबसे ज्यादा जरूरी है. खास तौर पर बच्चों की काउंसलिंग ग्रहों के अनुसार की जाए तो उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है. वहीं गीता जायसवाल जो गृहिणी हैं उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं, दोनों इनकी पढ़ाई में पूरा सहयोग करते हैं. साथ ही यहां पर आकर बचपन याद आ गया और ऐसा लगता है जैसे एक बार फिर छात्र वाली जिंदगी आ गई हो.

वरिष्ठ छात्रों में गजब का उत्साह
विभाग के प्रोफेसर अनिल कुमार ने बताया कि सभी वरिष्ठ छात्र हमारे लिए बच्चे जैसे ही हैं. उनको भी पूरे स्नेह और प्यार से पढ़ाया जाता है. सभी पूरा ध्यान केंद्रित करके अच्छे बच्चों की तरह पढ़ाई भी करते हैं. उन्होंने बताया कि सभी के अंदर जिज्ञासा है इसे पढ़ने की क्योंकि यह भविष्य में भी एक प्रोफेशन के तौर पर भी काम आएगा.

बच्चों ने कराया दाखिला
सुधीर कुमार सक्सेना ने बताया कि इनकी दो बेटियां हैं, सबसे छोटी बेटी जो पुणे में है उसी ने इनका दाखिला कराया. आपको बता दें सुधीर सक्सेना 2022 में पीजीआई से सेवानिवृत हुए हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र भी रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने सोचा था कि अध्यात्म को पढ़ेंगे और समझेंगे और ज्योतिर्विज्ञान पढ़ने और समझने का इससे बेहतर मौका और कोई नहीं हो सकता.

बेटी ने भरी पिता की फीस
कर्नल हृदय नारायण कौशल ने बताया कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय के 1974 में छात्र रहे हैं. फिर फौज में भर्ती हो गए और 52 साल की उम्र में 2010 में वह सेवानिवृत हुए और विभिन्न विभागों में काम करने के बाद अपने तीनों बच्चों को सेटल कर दिया. बचपन से मेरे मन में ज्योतिर्विज्ञान के प्रति जिज्ञासा थी . मेरी बेटी ने इसमें पूरा सहयोग किया. उसने फीस भरने के साथ ही इस उम्र में पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन भी दिया.

बेटे के साथ चल रहा कंपटीशन
केपी सिंह ने बताया कि उन्होंने एलआईसी से वीआरएस ले लिया था. उनका बेटा भी लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र है। फिलहाल उनके बेटे का रिजल्ट आ गया है बेटा बीएससी कर रहा है और वह प्रथम आया है. अब बेटे को उनके रिजल्ट का इंतजार है कि पिता का कौन सा स्थान आता है. वहीं धर्म कुमारी ने बताया कि वह 2022 तक शिक्षिका रही हैं. 2022 में रिटायरमेंट के बाद इन्होंने यहां पर दाखिला लिया और यहां के सभी प्रोफेसर शिक्षक बहुत सहयोग करते हैं.

अपनी जड़ों से जुडने का मिला मौका
कम उम्र के छात्रों से जब बात की गई तो उसमें छात्रा वसुधा दीक्षित ने बताया कि सभी वरिष्ठ छात्रों में हमसे ज्यादा अनुभव है. उनके साथ पढ़ने में बहुत मजा आता है. अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका मिलता है. साथ में ही काफी कुछ जिंदगी के बारे में भी सीखने के लिए मिलता है. वहीं छात्रा अंजलि ने कहा कि सभी प्रेरणा स्रोत हैं और इन्हें देखकर ऐसा लगता है जब इस उम्र में इनके अंदर जोश और जज्बा है तो हमारे अंदर क्यों नहीं हो सकता.

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