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WFI को बड़ा झटका, United World Wrestling ने समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए खेल संस्था को किया निलंबित

WFI को बड़ा झटका, United World Wrestling ने समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए खेल संस्था को किया निलंबित

यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) को तत्काल प्रभाव से अनिश्चित काल के लिए निलंबित करके एक बड़ा कदम उठाया है। डब्ल्यूएफआई पिछले कुछ महीनों से गलत कारणों से सुर्खियां बटोर रहा है और अब विश्व कुश्ती संस्था द्वारा तत्काल निलंबन महासंघ के चुनाव कराने में विफल रहने के कारण हुआ है। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने पहले डब्ल्यूएफआई को चुनाव में देरी होने पर निलंबन की चेतावनी दी थी। भारत की कुश्ती संचालन संस्था को पहले जून 2023 में चुनाव कराने थे। लेकिन भारतीय पहलवानों के विरोध और विभिन्न राज्य इकाइयों की याचिकाओं के कारण इन्हें लगातार स्थगित किया जा रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) में कुल 15 पदों के लिए चुनाव 12 अगस्त को होने वाले थे। निवर्तमान डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह सहित चार उम्मीदवारों ने गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। अन्य पदों में, उत्तराखंड के एसपी देशवाल को कोषाध्यक्ष पद के लिए नामांकित किया गया था, जबकि दर्शन लाल का नाम (चंडीगढ़ कुश्ती निकाय से) महासचिव के लिए आया था। हालांकि, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के होने वाले बहुप्रतीक्षित चुनावों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी।

भारतीय ओलंपिक संघ ने डब्ल्यूएफआई के संचालन के लिए तदर्थ पैनल नियुक्त किया था जिसने पहले चुनाव की तिथि छह जुलाई तय की थी लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की गैर मान्यता प्राप्त राज्य इकाइयों ने सुनवाई के लिए पैनल से संपर्क किया जिसके बाद चुनाव की तिथि 11 जुलाई निर्धारित की गई। इन राज्य इकाइयों ने कहा था कि उनको बाहर करना सही नहीं था। तदर्थ पैनल ने इन राज्यों के प्रतिनिधियों की बात सुनी लेकिन इसके बावजूद 11 जुलाई को चुनाव नहीं हो सके क्योंकि असम कुश्ती संघ ने चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार मांगने के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने इसके बाद चुनाव पर रोक लगा दी। उच्चतम न्यायालय ने इसके बाद गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाकर 12 अगस्त को चुनाव कराने का रास्ता साफ किया था लेकिन शुक्रवार के आदेश के बाद चुनाव प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग गया है।

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