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Ee Wrong Number hai…भारत के खिलाफ गढ़े गए फेक नैरेटिव में कॉमन क्या है? इसके पीछे कौन सा ग्रुप-लॉबी एक्टिव मोड पर कर रहा काम

Ee Wrong Number hai...भारत के खिलाफ गढ़े गए फेक नैरेटिव में कॉमन क्या है? इसके पीछे कौन सा ग्रुप-लॉबी एक्टिव मोड पर कर रहा काम

Ee Wrong Number hai…भारत के खिलाफ गढ़े गए फेक नैरेटिव में कॉमन क्या है? इसके पीछे कौन सा ग्रुप-लॉबी एक्टिव मोड पर कर रहा काम
साल 2014 में आमिर खान की अभिनीत फिल्म पीके तो आपको जरूर याद होगी। फिल्म में दिखाया गया है कि तपस्वी महराज ईश्वर को फोन करते हैं और उसी से समस्याओं का समाधान पूछते हैं। तपस्वी महाराज की फोन कॉल का रहस्य खुलते है। लेकिन वहां मौजूद पीके तपाक से बोल पड़ता है कि ई रॉन्ग नंबर है। भारत देश में भी ऐसे रॉन्ग नंबर की भरमार है। जब झूठी कहानी गढ़, मीडिया के फेक नैरेटिव के जरिए कुछ वर्गों द्वारा प्रोपगेंडा फैलाने की कोशिशें समय समय पर आकार लेती रहती हैं। देश में आधारहीन मुद्दे को खड़ा किया जाता है। उस पर मोदी मीडिया, विदेशों में बैठी अलग अलग मुद्दों पर रैकिंग करने वाली संस्थाएं, सोशल मीडिया इंफ्लूएंशर का एक तबका और देश की मीडिया के चंद लोग शामिल हैं। ये सब मिलकर किसी मुद्दों को लेकर खूब हंगामा मचाना शुरू कर देते हैं। जब उन मुद्दों का झूठ सामने आता है तो पूरा सिस्टम खामोशी की चादर ओढ़ लेता है। इसलिए उन्हें एक्सपोज करना बेहद जरूरी है।

इस बात को कुछ ही महीने बीचे हैं। जब बीबीसी के कर चोरी के मुद्दे ने देश ही नहीं विदेशों में भी सुर्खियां बटोरी थी। देश के कथाकथित बुद्धिजीवि, कुछ डिजाइनर पत्रकारों और विदेशी मीडिया ने मिलकर देश में हुई आयकर चोरी को अनदेखा करते हुए इसका विरोध कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया गया। आपको याद होहा कि आयकर विभाग ने फरवरी 2023 में बीबीसी के मुंबई और दिल्ली कार्यालयों पर सर्वे किया था। इसके बाद दुनियाभर के कई मीडिया संस्थाओं और पत्रकारों ने फ्रीडम ऑफ प्रेस की बात करते हुए भारत पर सवाल उठाए थे। फरवरी 2023 में आयकर विभाग ने बीबीसी के नई दिल्ली और मुंबई कार्यालयों में टैक्स चोरी के मामले में सर्वे किए थे। उस वक्त भी अधिकारियों ने कहा था कि बीबीसी की आय और मुनाफे में विसंगतियां नजर आ रही है। हद तो तब हो गई जबकि व्हाइट हाउस में भी इस पर सवाल पूछा गया। जबकि बीबीसी ने 40 करोड़ की कर चोरी को स्वीकार किया था। बीबीसी की ओर से भारत में टैक्स चोरी के आरोपों को स्वीकार करने के बाद केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस विदेशी मीडिया ग्रुप पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर एजेंडा चलाने वाले लोगों के नियंत्रण में है। पूरे इकोसिस्टम ने पूरी कार्रवाई को 2002 दंगों पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ से जोड़ दिया। बता दें कि डॉक्यूमेंट्री में भारत की छवि और भारत सरकार के खिलाफ काफी आलोचनाएं की गई थीं।

पेगासस का मामला याद है?

पेगासस की रिपोर्ट को आधार बनाकर भारत की पूरी सिक्य़ोरिटी सिस्टम को बदनाम और कमजोर करने में ये पूरा गिरोह जुट गया था। एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2019 में ही भारत में कम से कम 1400 लोगों के निजी मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई थी। कहा गया कि इसमें 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक महानुभाव, केंद्र सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई आला अफसर, दिग्गज उद्योगपति भी शामिल है। काफी हंगामे के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। मांग उठी की इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। 25 अगस्त को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि पेगासस तकनीकी समिति ने रिपोर्ट दी है कि जांच किए गए 29 फोन में से पांच “कुछ मैलवेयर” से संक्रमित पाए गए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह पेगासस स्पाइवेयर था। समिति को उन्तीस फ़ोन दिये गये। मुख्य न्यायाधीश रमना ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा था कि 29 में से पांच फोन में कुछ मैलवेयर होने के सबूत मिले हैं, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि जासूसी की गई। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया के दौरान देश-विदेश में इसको लेकर चर्चा किया गया, संसद नहीं चलने दी गई, खूब हंगामा भी किया गया। राहुल गांधी ने तो विदेश में भी जाकर कह दिया कि मेरे फोन में पेगासस है।

राहुल का पसंदीदा राफेल

गली-गली में शोर है… कैमरा भीड़ की तरफ मुड़ता है और कोलाहल ध्वनि में आवाज फूट पड़ती है “चौकीदार चोर है” जगह थी उत्तर प्रदेश की अमेठी, राहुल गांधी की अमेठी, राजीव गांधी की अमेठी और अब आरोपों की अमेठी। ढीले-ढाले सफेद कुर्ते और जीन्स में अलग-अलग भाव-भंगिमा के साथ अपने मनमाफ़िक जवाब को सुनकर मंद-मंद मुस्कान लिए कांग्रेसी नेता राहुल गांधी आरोपों की वैतरणी के सहारे चुनावी नैया पार करने की भरपूर कोशिश करते नजर आए। नरेंद्र मोदी उद्योगपतियों के चौकीदार है, राफेल डील में गड़बड़ी हुई है। भ्रष्टाचार हुआ है जैसे आरोप लगाते-लगाते राहुल गांधी ने इसमें सुप्रीम कोर्ट को भी घसीटते हुए कह दिया की कोर्ट ने भी कह दिया चौकीदार चोर है। नतीजतन मामला न्यायालय की अवमानना का बना और फिर राहुल कोर्ट से कहते दिखे ‘हमसे भूल हो गई हमको माफी दे दो’। इस मुद्दे को भ्रष्टाचार का प्रोपगेंडा फैलान की भी खूब कोशिश हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को सौदे की जांच की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि राफेल की खरीद में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई गुंजाइश नहीं है। अदालत ने नवंबर में अपने फैसले पर पुनर्विचार की याचिकाओं को खारिज करते हुए सौदे को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद पर विराम लगा दिया था। इस दौरान भी देश की संसद को बाधित किया गया। इस मामले का सबसे शर्मनाक पहलू ये है कि झूठ को फैलाने में दक्षिणभारत के एक अखबार समूह ने भरपूर भूमिका निभाई।

महंगाई पर फेक नैरेटिव

जहां अमेरिका, ब्रिटेन और बाकी यूरोप में कोरोना काल के बाद उनकी नीतियों के परिणामस्वरूप महंगाई 40-50 साल में अपने चरम पर है। ऐसे में भारत ने अपनी औसत महंगाई को पांच फीसदी से भी कम पर रोक कर रखा है। पिछले दस वर्षों में “अनियंत्रित” मुद्रास्फीति के आरोपों की बात करें तो डेटा पूरी तरह से अलग कहानी दिखाता है। आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो पता चलता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तहत मुद्रास्फीति ज्यादातर प्रति वर्ष 5 प्रतिशत से नीचे रही है। दूसरी ओर, 2014 में एनडीए के लोकसभा चुनाव हारने के बाद यूपीए अपने शासन के पहले वर्ष में मुद्रास्फीति को केवल 5 प्रतिशत से नीचे रखने में कामयाब रही। लेकिन इससे ठीक उलट कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने महंगाई को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाए कि इस पर नियंत्रण के लिए सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हुई। शायद इसके पीछे की मंशा इस बात पर पर्दा डालने की रही हो कि 2009 से 2014 के बीच मुद्रा स्फ़ीति दर दोहरे अंक में था।

चीन को लेकर भ्रम की स्थिति

भारत चीन सीमा संघर्ष को लेकर संसद तक ठप्प कर दी गई। चीन लाल आँखे दिखा रहा है, चीन से प्रधानमंत्री नजरे नहीं मिला सकते। न जाने कितने आरोप और नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की गई जिससे ये लगे कि भारत चीन के दबाव में है। राहुल गांधी तो लगातार ये साबित करने पर तुले हैं कि भारत की जमीनों पर चीन ने कब्जा कर लिया है। लेकिन वास्तविकता ये है कि चीन जहां घुसने की कोशिश कर रहा है वहां उसे रोका गया है और मुहंतोड़ जवाब भी दिया गया है। चीन ने भारतीय भूभाग पर कब्जा किया है। इसमें कोई गलत बात नहीं है, इससे आगे पाकिस्तान ने भी भारतीय जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है। लेकिन ये कोई वर्तमान की नहीं बल्कि वर्षों पुरानी बात है। जिसके बारे में जानकारी मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश राज्यमंत्री ई अहमद ने एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया था कि पाकिस्तान ने लगभग 78,000 वर्ग किलोमीटर पर अवैध और जबरन कब्ज़ा कर रखा है। जम्मू और कश्मीर में भारतीय क्षेत्र के चीन ने लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है। इसके अलावा, 1963 के तथाकथित ‘चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते’ के तहत, पाकिस्तान ने अवैध रूप से 5180 वर्ग किमी. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा गैरकानूनी रूप से चीन को सौंप दिया है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर हंगामा

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के दौरान कहा गया कि ये इंडिया गेट के पास के बगीचों की हरियाली को समाप्त कर देगा। सवाल उठने लगे कि सरकार को सेंट्रल विस्टा बनाने के लिए मंजूरी कैसे मिली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 10 दिसंबर को ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ के आधारशिला कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति दे दी। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि नए भवन के निर्माण के लिए सरकार ने सभी तरह के क्लियरेंस लिए हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण कार्य को जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व की एक ‘‘अहम एवं आवश्यक’’ परियोजना है। आज देश का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो चुका है। इसको लेकर फेक विमर्श गढ़ने वाला गैंग खामोश हो गया।

ऐसे ही कुछ चुनिंदा मुद्दों को निरर्थक रूप से विशेष वर्ग समूह और बुद्दिजीवी, डिजाइनर पत्रकारों द्वारा उठाया गया। महीनों तक इसे खींचा गया। संसद की कार्यवाही पर भी इसका असर देखने को मिला। देश की अदालतों को भी इसमें शामिल किया गया। ऐसे कई मामले आप आए दिन अखबारों या वेबसाइटों पर पढ़ते होंगे। बहुत ही चतुराई से फेक नैरेटिव क्रिएट करने के ये तो महज चुनिंदा उदाहरण हैं, लेकिन ये फेहरिस्त बहुत लंबी है। जरूरत है तो बस इतनी की जब भी आप इस तरह की कोई भी भ्रामक प्रोपगेंडा बेस्ड नैरेटिव से दो चार हो तो खुद ही आगे बढ़ते हुए ऐसे दावों की ई रॉन्ग नंबर है बोल हवा निकाल दें।

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