पाकिस्तान की किस्मत का फैसला, क्या मिलेगी राहत, जानें क्या है FATF और इसकी ग्रे लिस्ट?
पाकिस्तान की किस्मत का फैसला, क्या मिलेगी राहत, जानें क्या है FATF और इसकी ग्रे लिस्ट?

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पाकिस्तान की किस्मत का फैसला, क्या मिलेगी राहत, जानें क्या है FATF और इसकी ग्रे लिस्ट?
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By अभिनय आकाश | Oct 21, 2022
पाकिस्तान की किस्मत का फैसला, क्या मिलेगी राहत, जानें क्या है FATF और इसकी ग्रे लिस्ट?
बदहाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान का क्या होगा? क्या पाकिस्तान को एफएटीएफ से राहत मिलेगी? क्या पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलेगा। पेरिस में चल रही एफएटीएफ की बैठक के दूसरे दिन इन सवालों के जवाब मिलेंगे। पाकिस्तान को उम्मीद है कि मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के आरोपों से उसे टेरर फंडिंग में राहत मिलेगी। मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से बाहर आ सकता है। जून में हुई एफएटीएफ की बैठक में तय किया गया था कि एफएटीएफ की टीम पाकिस्तान जाएगी। पाकिस्तान में ग्राउंड पर जाकर टेरर फंडिंग के आरोपों की जांच की जाएगी। इस टीम की रिपोर्ट के बाद पाकिस्तान की किस्मत का फैसला होगा।
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ग्राउंड पर जाकर टेरर फंडिंग की जांच
अक्टूबर में पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने दावा किया है कि एफएटीएफ की टेक्निकल टीम ने टेरर फंडिंग के आरोपों की जांच के लिए दौरा किया था। इसके बाद इसके कामयाब रहने का ऐलान किया था। अब वो पेरिस में खुशखबरी की उम्मीद लगाए बैठा है। हालांकि जानकार बताते हैं कि पाकिस्तान अगर एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर भी निकल जाता है तो उसकी खस्ता हाल इकोनॉमी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। बाद में कहीं अगर विदेशी निवेश आया तभी कोई फायदा हो सकता है।
2018 से इस लिस्ट में पाकिस्तान
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम की जांच करने में विफलता के लिए पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट” में रखने के चार साल से अधिक समय बाद यह कदम उठाया जा सकता है, जिससे भ्रष्टाचार और आतंकी वित्तपोषण हो रहा है। जून तक पाकिस्तान ने 2018 में एफएटीएफ द्वारा दी गई अधिकांश कार्रवाई वस्तुओं को पूरा कर लिया था और केवल कुछ आइटम जो अधूरे रह गए थे, उनमें जैश-ए-मोहम्मद (JeM) प्रमुख सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और उनके भरोसेमंद सहयोगी और समूह के “ऑपरेशनल कमांडर”, जकीउर रहमान लखवी जैसे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता शामिल थी। अजहर, सईद और लखवी 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस पर बमबारी सहित कई आतंकी कृत्यों में शामिल होने के लिए भारत में मोस्ट वांटेड आतंकवादी हैं।
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व्हाइट लिस्ट के लिए चाहिए कितने वोट
पाकिस्तान के “ग्रे लिस्ट” पर बने रहने के साथ इस्लामाबाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB) और यूरोपीय संघ (EU) से वित्तीय सहायता प्राप्त करना कठिन हो गया था। नकदी की तंगी से जूझ रहे देश की समस्या और बढ़ रही है। पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट” से बाहर निकलने और “व्हाइट लिस्ट” में जाने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए। “ब्लैक लिस्ट” से बचने के लिए इसे तीन देशों के समर्थन की जरूरत है। चीन, तुर्की और मलेशिया इसके लगातार समर्थक हैं। जून 2018 में FATF द्वारा पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट” में रखा गया था और अक्टूबर 2019 तक इसे पूरा करने के लिए कार्य योजना दी गई थी। तब से, FATF के जनादेश का पालन करने में विफलता के कारण देश सूची में है।
क्या है एफएटीएफ
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जी-7 ग्रुप की ओर से बनाई गई निगरानी एजेंसी है। इसकी स्थापना इंटरनेशनल लेवल पर मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और विनाशकारी हथियारों के प्रसार और फाइनैंस को रोकना है। यह ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसी गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है। यह निगरानी के बाद देशों को टारगेट देता है, जैसे आतंकियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, हथियारों की तस्करी की रोकथाम के लिए कानून बनाने की सलाह देता है। जो देश ऐसा नहीं करते हैं तो उसे वह अपनी ग्रे या ब्लैक लिस्क में डाल देता है। इन लिस्ट में जाने से अंतराष्ट्रीय बैंक से लोन लेने की संभावना कम हो जाती है।
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ग्रे लिस्ट क्या है?
एफएटीएफ के अनुसार जब किसी क्षेत्राधिकार को बढ़ी हुई निगरानी में रखा जाता है, तो इसका मतलब है कि देश सहमत समय सीमा के भीतर पहचानी गई रणनीतिक कमियों को तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है और अतिरिक्त जांच के अधीन है। विशेष रूप से ये क्षेत्राधिकार अब “मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने शासन में रणनीतिक कमियों को दूर करने के लिए एफएटीएफ के साथ सक्रिय रूप से काम करेंगे। सरल शब्दों में कहे तो ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जो एफएटीएफ के बताए गए पॉइंट्स पर अमल करने की हामी भरते हैं। यह एक तरह से चेतावनी होती है कि समय रहते ये देश ग्रे लिस्ट में आने के बाद भी सख़्त कदम नहीं उठाते हैं, तो इन पर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा बढ़ता है।